
नागपुर यूनिवर्सिटी (फाइल फोटो)
Nagpur University Updates: राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय की सीनेट सभा में कुछ पुराने ऐसे मामले सामने आये जिनकी वजह से लापरवाही की परतें खुली हैं। इसी तरह का एक निर्णय पीएचडी को लेकर भी हुआ था। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशानिर्देशों के खिलाफ कुछ पुराने विद्यार्थियों को पीएचडी थीसिस जमा करने की राहत दी गई।
स्थिति स्पष्ट होने के बाद उपकुलपति डॉ. मनाली क्षीरसागर ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए योग्य कार्यवाही का आश्वासन दिया। कार्यवृत पर चर्चा के दौरान उठाये गये इस मुद्दे पर अधिकांश सदस्य एकजुट नजर आये। चर्चा के दौरान सदस्यों ने आरोप लगाया कि पीएचडी के लिए दिशानिर्देश कुछ चुनिंदा छात्रों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से जारी किया गया था लेकिन इसमें यूजीसी के नियमों का सरेआम उल्लंघन किया गया।
दरअसल कुछ महीने पहले विद्वत परिषद ने एक निर्णय लिया था जिसमें पुराने पीएचडी छात्रों को शोध प्रबंध जमा करने की राहत दी गई। विश्वविद्यालय ने बाकायदा दिशानिर्देश 33/2025 भी जारी किया। इसमें धारा 15(एच) के तहत पुराने छात्रों को थीसिस जमा करने का अंतिम अवसर देने की बात कही गई। इसके बाद एक महीने के भीतर कुल 22 पीएचडी छात्रों ने अपने थीसिस जमा की हैं। ये सभी थीसिस 6 वर्ष पुरानी हैं, जबकि यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार 6 वर्ष के भीतर पीएचडी थीसिस जमा करना अनिवार्य है।
इस संबंध में कुछ महीने पहले सदस्य एड. मनमोहन वाजपेयी ने विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर ध्यानाकर्षण कराया था। इसके बावजूद दिशानिर्देश को रद्द नहीं किया गया। बैठक में वाजपेयी ने मुद्दा उठाते हुए दिशानिर्देश रद्द करने की मांग की। इस पर वरिष्ठ सदस्य डॉ. आरजी भोयर ने आक्रामक रुख अपनाते हुए चेतावनी दी कि यदि दिशानिर्देश रद्द नहीं किए गए तो इस मामले की शिकायत राज्यपाल और राष्ट्रपति से की जाएगी।
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यह निर्णय विश्वविद्यालय और आने वाली नई पीढ़ी के लिए हानिकारक है। अत: इसे तत्काल रद्द किया जाना चाहिए। अन्य सदस्यों ने भी आक्रामक रुख अपनाते हुए फैसले को तुरंत रद्द करने की मांग की। उपकुलपति डॉ. मनाली क्षीरसागर ने भी स्वीकार किया कि मामला गंभीर है। छात्रों को 6 वर्ष के बाद भी थीसिस जमा करने की राहत देने वाला दिशानिर्देश जारी करना अनुचित था। इस मामले में कार्यवाही का आश्वासन दिया।






