नागपुर विश्वविद्याल
नागपुर. नागपुर विश्वविद्यालय के सभी स्नातकोत्तर विभाग और संचालित कॉलेज (स्नातकोत्तर) ऑटोनॉमस हो गये हैं. दो वर्षीय पाठ्यक्रम के ऑटोनॉमस की पहली बैच भी पास आउट होकर निकल गयी लेकिन विभागों की गुणवत्ता में अपेक्षा के अनुरूप सुधार होता दिखाई नहीं दे रहा है. इसकी मुख्य वजह सीमित संसाधन और मैन पॉवर का अभाव है. हालांकि पिछले दिनों विवि प्रशासन ने रिक्त पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मंगाये हैं लेकिन एलआईटी बनने के बाद पदों का रोस्टर भी बदल गया है. इस हालत में प्राध्यापकों की नियुक्ति के लिए और इंतजार करना पड़ेगा. तब तक विभाग पूर्ववत अवस्था में ही रहेंगे.
किसी भी कॉलेज या पीजी विभागों को ऑटोनॉमी देने के लिए एक्ट के अनुसार प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है. साथ ही विभागों में नियमानुसार प्राध्यापकों की संख्या को देखा जाता है लेकिन करीब 2 वर्ष पहले विवि द्वारा विभागों को ऑटोनॉमी दे दी गई. इसके साथ ही विभाग विश्वविद्यालय की परीक्षाओं से अलग हो गये. यानी अब विभाग खुद अपनी परीक्षा लेते हैं और मूल्यांकन भी करते हैं.
जानकारों की मानें तो विवि के सभी विभाग ऑटोनॉमी के लिए तैयार नहीं थे. जियोलॉजी, फिजिक्स, कमेस्ट्री, फार्मेसी जैसे चुनिंदा विभागों को छोड़ दिया जाये तो लगभग विभागों की क्षमता ही नहीं थी. इसके बाद भी विवि ने एकमुश्त सभी विभागों को ऑटोनॉमी दे दी. अब स्थिति यह है कि किसी विभाग में एक तो किसी विभाग में 2 और किसी विभाग में तो कोई भी प्राध्यापक नहीं है. इस हालत में अंशकालीन और ठेकेदारी पद्धति वाले प्राध्यापकों के भरोसे छात्रों का भविष्य तैयार किया जा रहा है.
विवि के सांख्यिकी विभाग में एक भी प्राध्यापक नहीं है. इस हालत में पेपर सेट करने, परीक्षा लेने और मूल्यांकन कर परिणाम तैयार करने का काम कैसे चल रहा है, यह खुद उपकुलपति ही जानते होंगे. मैन पॉवर की कमी से जूझ रहे विभागों को दी गई ऑटोनॉमी के परिणाम अब सामने आ रहे हैं. इससे गुणवत्ता पर असर साफ तौर पर देखने को मिल रहा है.
हर वर्ष दीक्षांत समारोह में सर्वोच्च अंक हासिल करने वाले छात्रों को विविध तरह के पुरस्कार दिये जाते हैं. दानदाताओं द्वारा घोषित पुरस्कार विवि द्वारा ली जाने वाली परीक्षा के आधार पर दिये जाते हैं लेकिन अब स्नातकोत्तर विभाग अपनी खुद की परीक्षा लेते हैं. इस हालत में विभागों के छात्र मेडल, पुरस्कारों के लिए पात्र ही नहीं होंगे. केवल संलग्नित महाविद्यालयों के छात्रों को ही पुरस्कार मिलेंगे, इस तरह की स्थिति बन गई है. यह एक तरह से छात्रों का नुकसान होगा. अब विभाग के छात्रों के लिए नये सिरे से पुरस्कार, मेडल प्रायोजित करना होगा.
विवि के पूर्व उपकुलपति व विद्यावेध संगठन के अध्यक्ष डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे मानते हैं कि विभागों को दी गई ऑटोनॉमी ही अवैध है. विवि ने इसके लिए समूची प्रक्रिया का पालन ही नहीं किया. कुछ विभागों को छोड़कर शेष की हालत ठीक नहीं है. इस हालत में उन्हें ऑटोनॉमी नहीं दी जानी चाहिए थी. यह एक तरह से विभागों पर लादी गई ऑटोनॉमी है. इससे छात्रों के शैक्षणिक नुकसान की संभावना बलवती हो गई है. पहले यह अध्ययन किया जाना था कि सभी विभाग ऑटोनॉमी के लायक हैं या नहीं. इसके बाद ही निर्णय लिया जाना चाहिए था. इस संबंध में जल्द ही आवाज बुलंद की जाएगी. साथ ही सच्चाई को सामने लाया जाएगा. उन्होंने यह भी दावा कि विभागों के छात्रों की डिग्री यूजीसी भी मान्य नहीं करेगी.