नागपुर. सारथी, बार्टी, और महाज्योति में पीएचडी फेलोशिप के लिए ली गई संयुक्त परीक्षा का बहिष्कार करने वाले विदर्भ के छात्रों की मुसीबतें बढ़ गई हैं. शुरुआत में सावित्रीबाई फुले विवि पुणे के उपकुलपति ने परीक्षा का मूल्यांकन नहीं करने की बात कही थी लेकिन कुछ ही दिनों बाद वादे से पलट गये. अब परीक्षा का मूल्यांकन किया जाएगा. इस हालत में बहिष्कार करने वाले विदर्भ के 630 छात्रों को वंचित रहना पड़ेगा. अब सभी छात्र आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं.
पीएचडी फेलोशिप के लिए ली गई सीईटी परीक्षा में विदर्भ के छात्रों के लिए कमला नेहरू कॉलेज में केंद्र दिया गया था. इस केंद्र पर छात्रों को सी और डी पेपर सेट की जेराक्स कॉपी दी गई थी. इस पर छात्रों ने आरोप लगाया था कि पेपर लीक हो गया है. सभी छात्र परीक्षा केंद्र से बाहर निकल गये थे और बहिष्कार किया था. केवल 8 छात्र ही परीक्षा में शामिल हुए थे. घटना के बाद पुणे में छात्रों ने आंदोलन शुरू किया. आंदोलन की तीव्रता बढ़ती देख पुणे विवि के उपकुलपति ने परीक्षा का मूल्यांकन नहीं करने की घोषणा की थी.
परीक्षा का मूल्यांकन नहीं करने का ही मतलब था कि दोबारा परीक्षा ली जानी थी लेकिन इस घोषणा के 2-3 दिन बाद उपकुलपति पलट गये और उन्होंने स्पष्ट किया था कि छात्रों के आंदोलन को शांत करने के लिए यह घोषणा की थी. नागपुर केंद्र को छोड़कर बाकी जगह हुई परीक्षा का मूल्यांकन किया जाएगा.
परीक्षा का बहिष्कार करने वाले छात्रों ने बताया कि परीक्षा का आयोजन पुणे विवि द्वारा किया गया था. सी और डी पेपर सेट की जेराक्स कॉपी केवल नागपुर ही नहीं बल्कि अन्य केंद्रों पर भी दी गई थी. विवि इसे पेपर लीक नहीं मानता जबकि जब पेपर की जेराक्स की गई तो इसका ही मतलब है कि पेपर बाहर निकल गया था. पहले पुणे विवि के उपकुलपति ने मूल्यांकन नहीं करने की घोषणा की थी लेकिन अब पलट रहे हैं. यह सीधे तौर पर विदर्भ के छात्रों के साथ अन्याय है. विदर्भ भर के परीक्षार्थियों को एकत्रित किया जा रहा है. 20 जनवरी को आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी. यह आंदोलन नागपुर, अमरावती, यवतमाल और पुणे में किया जाएगा.