पांचपावली फ्लाईओवर (सौजन्य-नवभारत)
Panchpaoli Flyover: ‘विकास’ की स्पीड कैसी और कितनी है इसका अंदाजा सिर्फ इसी से लगाया जा सकता है कि जनवरी में भेजा गया प्रस्ताव रेलवे सितंबर तक मंजूर नहीं कर पाई है। इस बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी प्रयास किए लेकिन अधिकारी इतने ‘दबंग’ हो चुके हैं कि उनके ‘अनुरोध’, ‘निर्देश’ को भी ठेंगा दिखाने लगे हैं। अनुमति नहीं मिलने से पांचपावली पुल ‘हवा’ में लटका हुआ है।
न काम आगे बढ़ रहा है और न ही आगे कोई आसार हैं। अब तो यह कहा जाने लगा है कि यह प्रोजेक्ट ही ‘एक वर्ष’ लेट हो जाएगा। दिसंबर 2025 में शुरू होने की अपेक्षा थी लेकिन अब इसके अगले वर्ष जाने की संभावना बलवती हो गई है। जानकारी के अनुसार नेशनल हाईवे अथॉरिटी (NHAI) ने जनवरी माह में सबसे पहले पुल को गिराने की अनुमति मांगी थी। आंशिक और कुछ समय के लिए मंजूरी दी गई जिसके बाद कार्य को कुछ आगे बढ़ाया गया।
इसके बाद एनएचएआई ने कई बार पत्र लिखकर अनुमति देने की मांग की लेकिन एसईसीआर बिलासपुर जोन के अधिकारियों ने एक सिरे से अनुरोध को नकार दिया। फाइल अब भी बिलासपुर कार्यालय में पड़ी है और इधर पांचपावली ब्रिज ‘हवा’ में लटका हुआ है। अफसोस यह है कि इतने अहम प्रोजेक्ट को बनाने-तोड़ने के लिए समय नहीं दिया जा रहा है। बड़े नेताओं ने भी कई बार प्रयास किए लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। क्षेत्र की जनता दर्द भुगतने को विवश हो गई है।
नेशनल हाईवे अथॉरिटी (एनएचएआई) ने शुरुआती चरण में काम को तेज गति से पूरा किया लेकिन अब काम ठप हो गया है। इसका मुख्य कारण यह है कि एनएचएआई को एसईसीआर रेलवे से ‘ब्लाक’ नहीं मिल रहा है जिसके कारण ट्रैक के ऊपरी हिस्से को तोड़ना मुश्किल हो गया है। एनएचएआई बार-बार याद दिला रहा है लेकिन रेल अधिकारी ब्लाक देने में असमर्थ साबित हो रहे हैं। जानकारों ने बताया कि पहली बार जनवरी 2025 में पत्र भेजा गया था जिसे जून में मंजूरी दी गई। तब तक ट्रक के बाहरी हिस्सों को तोड़ने का काम किया गया। वर्तमान में ट्रैक के ऊपर पुल को तोड़ना है जिसके लिए पावर और ट्रैफिक ब्लाक की जरूरत है।
एनएचएआई का कहना है कि रेलवे से ब्लाक मिलने के बाद और 15 दिनों का समय पुल तोड़ने में लगेगा। रेलवे ट्रैक के ऊपर पुल को तोड़ना मुख्य चुनौती है, इसलिए वहां पर काफी संभलकर काम करना है। यह काम पूरा होने के बाद रैंप को तोड़ना बड़ी बात नहीं है लेकिन एनएचएआई अभी ‘ब्लाक’ के इंतजार में ही है।
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इस बीच स्थानीय लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रमुख बाजार गांजा खेत चौक, इतवारी, महल तक के व्यापारी इस पुल के जल्द से जल्द पूरा होने की उम्मीद लगाये बैठे हैं क्योंकि उनका व्यापार चौपट होता जा रहा है। नीचे से आवागमन इतना कठिन है कि अधिकांश लोग दूसरी ओर रुख कर लेते हैं, इसलिए कोई भी इन बाजारों की ओर रुख नहीं कर रहा है। त्योहारी सीजन में भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। रेलवे फाटक पर बार-बार जाम लगना आम बात है। लोगों को जाम में फंसने के लिए ‘मजबूर’ कर दिया गया है।