
कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
Nagpur Winter Session News: विदर्भ की समस्याओं को प्राधान्य देने और उसका समाधान करने की दृष्टि से संतरा नगरी में एक माह का शीत सत्र का आयोजन हर साल होता रहा है लेकिन यह धीरे-धीरे अब एक सप्ताह पर आ गया है। विदर्भ का दुर्भाग्य है कि इसकी मूलभूत समस्याओं के बारे में राज्य सरकार तो क्या स्थानीय विधायक भी चुप्पी साधे रहते हैं। अब शीत सत्र अपने अंतिम दिन पर आ गया है पर किसी ने भी संतरे की समस्याओं और इसके प्रमोशन की कोई बात नहीं की।
सूत्रों ने बताया कि इस वर्ष बारिश ने संतरे का खेल तमाम कर दिया है। असमय बारिश से संतरा अधिक मात्रा में गलकर गिर गए. जहां हर वर्ष मृग में 4 लाख टन तक संतरे की पैदावार होती थी वह इस वर्ष केवल 2 टन रही। आवश्यक धूप न मिलने से संतरों में मिठास भी गायब हो गई। एक्सपोर्ट क्वालिटी के संतरों की पैदावार नहीं हो पाई।
राज्य सरकार ने जिले में संतरे की ग्रेडिंग, कोटिंग और बॉक्सिंग के 2 प्रोसेसिंग प्लांट की घोषणा की थी, जो अभी भी सिर्फ कागजों पर ही है। नांदेड में सह्याद्री फार्म्स ने विदर्भ के किसानों को दिलासा देते हुए रोज 250 से 300 टन माल खरीदा। मिहान के पतंजलि प्लांट का धमाकेदार उद्घाटन तो हुआ। समारोह में अतिथियों को ऑरेंज जूस भी पिलाया गया पर इस मृग बहार में एक टन भी संतरा नहीं लिया गया।
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किसानों की मानें तो अब वे संतरे के बाग नष्ट कर कुछ और उगाने की सोच रहे हैं। पिछले वर्ष जहां संतरा 50 से 60 हजार रुपये टन था, इस वर्ष 25,000 रुपये टन तक ही भाव गया। अब अंबिया बहार खत्म होने की कगार पर है। अगले महीने 15 जनवरी से मृग बाहर शुरू होने की संभावना है।






