
हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
Voter List Fraud: मतदाता सूची से नाम गायब होने के मामले में न केवल देशभर में बल्कि राज्य में भी राजनीतिक दलों के बीच संघर्ष छिड़ा हुआ है। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा नगर पंचायत से लेकर महानगरपालिकाओं तक के चुनाव कराने की घोषणा की गई जिसके अनुसार अब प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। हाल ही में प्रारूप मतदाता सूची प्रेषित की गई जिस पर आपत्ति और सुझाव मंगाए गए हैं।
मतदाता सूची से नाम गायब होने के कारण याचिकाकर्ता संजय राऊत ने जिला चुनाव अधिकारी के पास आवेदन किया था किंतु इस पर निर्णय नहीं लिए जाने के कारण हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। मतदाता सूची में नाम का ‘धोखाधड़ी’ से बदलाव किए जाने का आरोप भी लगाया गया।
गुरुवार को सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने जिलाधिकारी और जिला चुनाव अधिकारी द्वारा पारित 30 अक्टूबर 2025 के एक आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें याचिकाकर्ता को मतदाता सूची में सुधार के लिए नया आवेदन दाखिल करने को कहा गया था।
दोनों पक्षों की दलीलों के बाद कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि चुनाव अधिकारियों की पूरी कार्यप्रणाली ही याचिकाकर्ता को चुनाव लड़ने से रोकने में प्रयासरत होने की प्रतीत हो रही है। कोर्ट ने कहा कि पहले ही याचिकाकर्ता को आवेदन करने को कहा गया था।
आवेदन ठुकराए जाने के बाद कोर्ट के आदेश पर अपील दायर की किंतु अपील पर सुनवाई के दौरान चुनाव अधिकारी पुन: आवेदन दायर करने को कह रहे हैं। इससे अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर संदेह होता है। सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता की अपील को वापस जिला चुनाव अधिकारी के पास मेरिट के आधार पर विचार करने के लिए भेज दिया है।
याचिकाकर्ता संजय राऊत ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उनका नाम 48-काटोल विधानसभा क्षेत्र से 50-हिंगना विधानसभा क्षेत्र में उनकी जानकारी के बिना स्थानांतरित कर दिया गया था। राऊत की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अक्षय नाईक ने तर्क दिया कि जिस आवेदन (फॉर्म- 8) पर प्रतिवादी भरोसा कर रहे थे और जिसके आधार पर नाम का स्थानांतरण किया गया उस पर याचिकाकर्ता के हस्ताक्षर नहीं थे।
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उन्होंने यह भी प्रस्तुत किया कि ऐसी रिपोर्ट है कि किसी ने याचिकाकर्ता के नाम पर धोखाधड़ी से यह आवेदन दायर किया था। याचिकाकर्ता ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 (Act of 1950) की धारा 24 के तहत जिलाधिकारी के समक्ष अपील दायर की थी। हालांकि जिलाधिकारी ने 30 अक्टूबर 2025 को यह कहते हुए अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया कि याचिकाकर्ता को मतदाता सूची में प्रविष्टियों को सही करने के लिए अधिनियम की धारा 22 के तहत आवेदन दाखिल करना चाहिए।






