
हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
Nagpur News: हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (एचसीबीए) के चुनाव में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का प्रावधान करने की मांग करते हुए अधि। प्रीति राणे ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। गुरुवार को याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अनिल किलोर और न्यायाधीश रजनीश व्यास ने हाई कोर्ट बार एसोसिएशन सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर 12 सप्ताह में जवाब दायर करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता प्रीति राणे ने स्वयं पैरवी की। गुरुवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने उसी दिन अंतरिम राहत या अंतिम आदेश पारित करने पर जोर दिया था किंतु न्यायालय ने याचिकाकर्ता की इस मांग को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने यह मत व्यक्त किया कि चूंकि हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का चुनाव कार्यक्रम पहले ही घोषित हो चुका है और याचिका में उठाए गए मुद्दे का निपटारा सभी पक्षों को सुनने के बाद ही किया जाना आवश्यक है। कोर्ट की राय है कि इस याचिका में शामिल मुद्दा योग्यता के आधार पर विचार किए जाने योग्य है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता प्रीति राणे वर्ष 2002 से एचसीबीए की सदस्य हैं।
उन्होंने प्रस्तुत किया है कि एचसीबीए के अधिकारी सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न बाध्यकारी आदेशों और निर्णयों को लागू करने में विफल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन बनाम बीडी कौशिक और दीक्षा एन। अमृथेश बनाम कर्नाटक राज्य सहित कई मामलों में बार एसोसिएशन चुनावों में महिलाओं के लिए अनिवार्य आरक्षण का एक ढांचा निर्धारित किया है।
याचिकाकर्ता राणे ने याचिका में बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के 2 मई 2024 और 6 मई 2025 को दिए गए निर्देशों में यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था कि कार्यकारी समिति में न्यूनतम 1/3 सीटें (यानी 9 में से 3 सीटें) और वरिष्ठ कार्यकारी सदस्य पदों (6 में से 2) को महिला अधिवक्ताओं के लिए आरक्षित किया जाए।
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इसके अलावा कम से कम एक ऑफिस बेयरर का पद (जैसे कोषाध्यक्ष या सचिव) विशेष रूप से महिला उम्मीदवार के लिए आरक्षित होना चाहिए। एचसीबीए चुनाव समिति ने 1 अक्टूबर 2025 को आगामी चुनावों (कार्यकाल 2026-2029) के लिए चुनाव कार्यक्रम प्रकाशित किया। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस कार्यक्रम में महिला उम्मीदवारों के लिए कोई आरक्षण प्रदान नहीं किया गया।
याचिका में बताया गया कि इस कमी को देखते हुए याचिकाकर्ता सहित बार एसोसिएशन के 150 सदस्यों ने 7 अक्टूबर 2025 और 13 अक्टूबर 2025 को एचसीबीए अधिकारियों को एक विस्तृत ज्ञापन प्रस्तुत किया जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों को लागू करने के लिए आम सभा की बैठक बुलाने की मांग की गई, जबकि एचसीबीए ने न तो कोई निर्णय लिया और न ही आम सभा की बैठक बुलाई। 17 अक्टूबर 2025 को जारी किए गए संशोधित चुनाव कार्यक्रम में भी कार्यकारी समिति के चुनाव के लिए महिला उम्मीदवारों हेतु किसी आरक्षण का प्रावधान नहीं किया गया।






