'उन' 2 आरोपियों के घरों को ढहाने पर रोक। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने हिंसा मामले में फहीम खान समेत दो आरोपियों के घरों को ढहाने पर सोमवार को रोक लगा दी और प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाए। फहीम खान के दो मंजिला घर को अदालत के आदेश से पहले ही ढहा दिया गया था, जबकि यूसुफ शेख के घर के अवैध हिस्सों को ढहाने की कार्रवाई अदालत के आदेश के बाद रोक दी गई।
दोनों आरोपियों ने अदालत में याचिका दायर कर जल्द सुनवाई की मांग की थी। न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की खंडपीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई की। पीठ ने सवाल किया कि कथित अवैध हिस्सों को ढहाने से पहले मकान मालिकों की बात क्यों नहीं सुनी गई। पीठ ने कहा कि यह कार्रवाई संपत्ति के मालिकों की बात सुने बिना ही दमनात्मक तरीके से की गई।
खान की ओर से पेश हुए वकील अश्विन इंगोले ने कहा कि अदालत ने सरकार और नगर निगम अधिकारियों से जवाब मांगा है तथा मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को तय की है। इंगोले ने दावा किया कि पीठ ने कहा है कि यदि यह निष्कर्ष निकलता है कि तोड़फोड़ अवैध रूप से किया गया था, तो प्राधिकारियों को इस नुकसान की भरपाई करनी होगी। भारी पुलिस सुरक्षा के बीच नगर निगम के अधिकारियों ने सोमवार सुबह खान के घर को अनधिकृत निर्माण के कारण ढहा दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि किसी व्यक्ति की संपत्ति को सिर्फ इसलिए ध्वस्त करना असंवैधानिक है क्योंकि उस पर कोई अपराध का आरोप है। अदालत ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में ऐसी गतिविधियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर विस्तृत सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया था। हालांकि, सोमवार सुबह नागपुर हिंसा के मुख्य आरोपी फहीम खान के घर पर बुलडोजर से कार्रवाई की गई। अदालत ने यह भी कहा कि ऐसी कार्रवाई को असंवैधानिक घोषित करते हुए संबंधित प्रशासनिक अधिकारी को इसके लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए।
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ये नियम न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. व्ही. विश्वनाथन की पीठ द्वारा तैयार किए गए थे। उत्तर प्रदेश में एक दंगाई के घर पर बुलडोजर चलाकर उसकी कमर तोड़ दी जाती है। तो क्या नागपुर में भी दंगाइयों के घरों पर बुलडोजर चलाया जाएगा? यह सवाल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से पूछा गया। जिस पर फडणवीस ने जवाब दिया था कि दंगाइयों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। उनके घर पर बुलडोजर चलाया जाएगा। नगर निगम ने तुरंत फहीम खान के परिवार को अतिक्रमण के संबंध में नोटिस जारी किया। अतिक्रमण हटाने का अभियान सोमवार को शुरू हुआ। फहीम के बाद एक और आरोपी के खिलाफ भी यही कार्रवाई की गई।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस बार ऐसी कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए, साथ ही उसने यह भी दिशा-निर्देश दिए कि प्रशासन को अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई के दौरान क्या करना चाहिए। इसके अनुसार प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए कुछ चीजें अनिवार्य कर दी गई हैं। अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित नियमों में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हैं।
अदालत ने अपने फैसले में प्रशासन को इन नियमों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि इन आदेशों का उल्लंघन किया गया तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होगा। ऐसे मामलों में संबंधित अधिकारी को अपने खर्च पर ध्वस्तीकरण के दौरान हुई क्षति की भरपाई करने के लिए कहा जाएगा। इसके अलावा संपत्ति मालिक को मुआवजा देने का भी निर्देश दिया जाएगा। इस बीच, अदालत ने यह भी कहा कि इस बार ये आदेश सड़कों और नदियों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर किए गए अतिक्रमणों पर लागू नहीं होंगे।