जादू टोना (सौजन्य-सोशल मीडिया, कंसेप्ट फोटो)
नागपुर: काले जादू के लिए लोग अक्सर इंसानों या जानवरों की बलि चढ़ा देते हैं। लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए काले जादू का शिकार हो जाते हैं। ये मामले अब स्मार्ट सिटी में भी देखने को मिल रहे हैं। एक तरफ नागपुर को स्मार्ट सिटी कहा जा रहा है तो दूसरी तरफ लोग आज भी काले जादू पर यकीन करते हैं। सरकार ने भी इस काले जादू पर लगाम लगाने की कोशिश की है, लेकिन फिर भी मामले बढ़ते ही जा रहे हैं।
सरकार ने जादू-टोना के नाम पर होने वाली धोखाधड़ी, मानव बलि, अमानवीय व्यवहार और अत्याचार पर अंकुश लगाने तथा दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए जादू-टोना विरोधी अधिनियम बनाया। इस कानून के तहत पिछले करीब 5 साल में जिले में 31 मामले दर्ज किए गए हैं। इस अवधि के दौरान एक भी मामला सुलझाया नहीं जा सका।
गौरतलब है कि जहां नागपुर शहर विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सीढ़ियां चढ़ रहा है, चिकित्सा और शिक्षा का केंद्र बन रहा है वहीं जादू-टोना के मामले भी सामने आ रहे हैं जो दर्शाते हैं कि शहर मानसिक प्रगति से कोसों दूर है। अंधविश्वास उन्मूलन के लिए काम करने वाले नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के बाद राज्य सरकार ने जादू-टोना विरोधी कानून बनाया।
प्रारंभिक चरण में सरकार ने इस कानून के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम चलाया था। 5 वर्षों में उजागर 31 मामलों में धोखेबाज बाबाओं द्वारा बांझपन की दवाइयां बेचना, अंधविश्वास के नाम पर बीमारियों को ठीक करने का वादा करना, भूत-प्रेत बाधा दूर करने के नाम पर लड़कियों को प्रताड़ित करना तथा वित्तीय धोखाधड़ी समेत अन्य मामले शामिल हैं। अब तक एक भी मामला सुलझाया नहीं जा सका है। इनमें से कुछ मामले लंबित हैं, जबकि अन्य की जांच चल रही है।
वर्ष | शहर | ग्रामीण |
---|---|---|
2019 | 2 | 1 |
2020 | 2 | 2 |
2021 | 4 | 3 |
2022 | 2 | 8 |
2023 | 4 | 0 |
2024 | 0 | 2 |
2025 | 0 | 1 |
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