
नागपुर निकाय चुनाव (फाइल फोटो)
Nagpur Politics Update: महानगरपालिका चुनाव को लेकर शुरू हुई प्रक्रिया में आरक्षण के लंबे इंतजार का आलम यह रहा कि जहां प्रफुल्ल गुड्धे पाटिल, छोटू भोयर, बाल्या बोरकर जैसे कई दिग्गज को आरक्षण का झटका झेलना पड़ा है वहीं पूर्व महापौर दयाशंकर तिवारी, पूर्व स्थायी समिति सभापति आभा पांडे, अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष एवं पूर्व पार्षद धर्मपाल मेश्राम और बंटी कुकड़े जैसे वरिष्ठ पार्षदों का प्रभाग सेफ होने से फिर एक बार उनके महानगरपालिका में पहुंचना का रास्ता साफ हो गया है।
बहरहाल वर्ष 2017 के आम चुनावों के लिए निकाले गए आरक्षण की तुलना में इस वर्ष 151 सीटों के लिए 38 प्रभागों में आरक्षण की हुई लॉटरी प्रक्रिया में कुल 28 सीटों का समीकरण बदल गया है। कुछ प्रभागों में जहां महिला आरक्षण के स्थान पर पुरुषों को स्थान मिलने जा रहा है वहीं कुछ वर्ष 2017 में पुरुषों के लिए आरक्षित सीटों पर अब महिला के लिए आरक्षण तय हो गया है जिससे पूरे प्रभाग में ही समीकरण बदलने की संभावना जताई जा रही है।
बीजेपी के सुरक्षित पूर्व पार्षद : पहली पंक्ति के नेता विकी कुकरेजा, प्रवीण भीसीकर, महेंद्र धनविजय, संदीप जाधव, भूषण शिंगणे, परिणीता फुके, दिव्या धुरडे, प्रगति पाटिल, वर्षा ठाकरे, प्रदीप पोहाणे, चेतना टांक, संदीप गवई, अविनाश ठाकरे और पिंटू झलके सुरक्षित हैं।
कांग्रेस के सुरक्षित पूर्व पार्षद : मनोज गावंडे, नितिन साठवणे, पुरुषोत्तम हजारे, संजय महाकालकर, संदीप सहारे, झिशान मुमताज, और जुल्फेकार भुट्टो सुरक्षित हैं।
अन्य दलों के सुरक्षित पूर्व पार्षद : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजीत पवार गुट) के तानाजी वनवे, आभा पांडे, शिवसेना के किशोर कुमेरिया और बसपा की वंदना चांदेकर तथा मंगला लांजेवार भी ‘सेफ’ हैं।
प्रभाग 12 के लिए निकाली गई आरक्षण की लॉटरी के अनुसार प्रभाग 12अ और प्रभाग 12क महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है। 12अ अनुसूचित जाति, 12ब अनुसूचित जनजाति (पुरुष), 12क ओबीसी महिला तथा 12ड सर्वसाधारण पुरुष वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। वर्ष 2017 के चुनावों में ‘अ’ से दर्शनी धवड़ ने चुनाव लड़ा था। ‘ब’ से माया इवनाते ने पुरुष आरक्षित वर्ग से चुनाव लड़ा था।
‘क’ से हरीश ग्वालबंशी ने चुनाव लड़ा था, जबकि ‘ड’ से विक्रम ग्वालबंशी ने चुनाव लड़ा था। इस आरक्षण में अब ‘क’ सीट ओबीसी महिला के लिए आरक्षित की गई है। ऐसे में यहां से पुरुष प्रत्याशी नहीं लड़ पाएगा, अत: उन्हें सर्वसामान्य वर्ग पुरुष के लिए आरक्षित 12ड से विक्रम ग्वालबंशी के खिलाफ लड़ना होगा।
भाजपा के वरिष्ठ पार्षदों में शामिल सुनील हिरणवार की प्रभाग 15अ की सीट इस समय महिला वर्ग के लिए आरक्षित की गई है। इसी तरह से प्रभाग 14क की सीट सर्वसामान्य पुरुष वर्ग के लिए आरक्षित की गई है। यही कारण है कि अब हिरणवार को ओबीसी पुरुष वर्ग के लिए आरक्षित प्रभाग 15ब से भाग्य आजमाना पड़ेगा। इसी तरह से सर्वसामान्य पुरुष वर्ग के लिए आरक्षित 14ड की सीट पर टिकट पाने के लिए महिला पार्षद प्रगति पाटिल को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ सकता है।
पूर्व स्थायी समिति अध्यक्ष बाल्या बोरकर प्रभाग 23ब से निर्वाचित हुए थे लेकिन अब यह सीट सर्वसाधारण महिला प्रवर्ग के लिए आरक्षित हो गई है। अब उन्हें इसी प्रभाग में ‘ड’ सर्वसाधारण प्रवर्ग से चुनाव लड़ना पड़ सकता है जहां उनके सामने दुनेश्वर पेठे खड़े हो सकते हैं। प्रभाग 31 में कांग्रेस के सतीश होले और छोटू भोयर नागरिकों के मागास प्रवर्ग (OBC) में एक दूसरे के सामने आने की संभावना है।
प्रभाग 20‘क’ अब महिला ओबीसी प्रवर्ग के लिए आरक्षित हो गया है, इसलिए कांग्रेस के रमेश पुणेकर को या तो दूसरे प्रभाग की तलाश करनी होगी या उसी प्रभाग के ‘ड’ से चुने गए दीपराज पार्डीकर से मुकाबला करना पड़ेगा।
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बीजेपी के नागेश सहारे, प्रमोद तभाणे, अभय गोटेकर, विजय चुटेले, शकुंतला पारवे की सीट प्रभावित होगी, जबकि आरक्षण बदलने के बावजूद मीनाक्षी तेलगोटे, वंदना भगत को राहत मिलती दिखाई दे रही है, जबकि कांग्रेस की स्नेहा निकोसे और बसपा के जितेंद्र घोडेस्वार को भी घर बैठना पड़ सकता है या फिर उन्हें पार्टी की इच्छा के अनुरूप सर्वसाधारण सीट से मौका भी मिल सकता है। जिन पूर्व पार्षदों की सीट आरक्षण के कारण खतरे में पड़ी है उन सभी के पास सर्वसाधारण प्रवर्ग से चुनाव लड़ने का विकल्प खुला है किंतु एक ही प्रभाग में आरक्षित सीट और सर्वसाधारण सीट पर पार्टी द्वारा उम्मीदवार दिए जाने की संभावना कम है।
राज्य चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए दिशानिर्देशों के अनुसार लॉटरी की प्रक्रिया पर किसी भी तरह की आपत्ति हो तो संबंधित व्यक्ति 17 से 24 नवंबर तक आपत्तियां और सुझाव दायर कर सकेंगे। मनपा मुख्यालय में इन आपत्तियों को दर्ज किया जा सकता है। इन पर सुनवाई होने के बाद आरक्षण को अंतिम किया जाएगा।






