
नागपुर महानगरपालिका (सोर्स: सोशल मीडिया)
Nagpur Mayor Reservation: नागपुर महानगरपालिका में भले ही प्रशासक राज मार्च 2022 से शुरू हुआ हो किंतु स्थानीय स्तर पर ‘लोकल सेल्फ गवर्नमेंट’ के चुनाव 2017 के बाद अब 2026 जनवरी को होने जा रहे हैं। इससे 8 वर्षों के इंतजार के बाद नागपुरवासियों को उनकी समस्या निवारण के लिए स्थानीय सरकार उपलब्ध होगी।
सोमवार को महानगरपालिका के चुनाव घोषित होने के बाद अब शहर की बागडोर किसके हाथों में होगी इसे लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। एक ओर जहां सभी बड़े राजनीतिक दल महानगरपालिका पर परचम लहराने का दावा कर रहे हैं। वहीं दोनों दलों के संभावित महापौर को लेकर भी अभी से राजनीतिक गलियारों में कयास लगने शुरू हो गए हैं।
बहरहाल यदि राजनीतिक जानकारों की मानें तो फिलहाल इस संदर्भ में कोई भी कयास लगाना अंधेरे में तीर मारने जैसा होगा। चूंकि महापौर पद के लिए भी लॉटरी निकाली जानी है। ऐसे में राज्य की 29 महानगरपालिकाओं के महापौर पद का आरक्षण बाद में ही तय होना है।
उल्लेखनीय है कि नागपुर कांग्रेस के शहर अध्यक्ष और वर्तमान विधायक विकास ठाकरे के बाद वर्ष 2007 तक कांग्रेस के अंतिम महापौर के रूप में नरेश गावंडे ने कार्यकाल पूरा किया था। इसके बाद से महानगरपालिका पर भाजपा का झंडा लहरा रहा है जिसके बाद से वर्ष 2007, 2012, वर्ष 2017 में भी भाजपा ने महानगरपालिका पर अपना कब्जा जारी रखा। पिछले कार्यकाल में भाजपा ने 108 पार्षदों का रिकॉर्ड बनाया है।
अब जनवरी में होने जा रहे चुनावों के लिए भाजपा ने 120 पार्षदों के जीत का लक्ष्य निर्धारित किया है। जानकारों की मानें तो महानगरपालिका में भले ही 15 वर्ष तक भाजपा ने राज किया हो लेकिन मनपा द्वारा कौनसे विकास किए गए? इसमें सीमेंट रोड को छोड़कर कोई बड़ी उपलब्धि उजागर नहीं हो रही है। केवल केंद्र और राज्य सरकार की निधि से होने वाले विकास ही इस चुनाव का एकमात्र सहारा होगा।
बताया जाता है कि मार्च 2007 में नागपुर महानगरपालिका में सत्ता में आने के बाद से भाजपा ने अब तक 8 महापौर दिए हैं। वर्ष 2017 से ही भाजपा ने 5 वर्ष के कार्यकाल में 3 महापौर को मौका दिया। वर्ष 2017 के आम चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद महिला के रूप में 5 मार्च 2017 को नंदा जिचकार को महापौर बनाते हुए दक्षिण-पश्चिम नागपुर को प्रतिनिधित्व दिया गया। यहां तक कि पश्चिम नागपुर को भी मौका मिला है। 22 नवंबर 2019 को संदीप जोशी को महापौर बनाया गया, जबकि 5 जनवरी 2021 को फिर से महापौर बदलकर भाजपा ने मध्य नागपुर को प्रतिनिधित्व देते हुए दयाशंकर तिवारी की महापौर के रूप में ताजपोशी की थी।
यह भी पढ़ें:- ‘मैं इसी मशीन से जीती हूं’, EVM पर सुप्रिया सुले ने छोड़ा राहुल गांधी का साथ, विपक्षी खेमे मची हलचल
जिस तरह से दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम और मध्य को महापौर के रूप में प्रतिनिधित्व दिया गया उसी तरह से भाजपा ने पूर्व नागपुर को स्थायी समिति के सभापति के रूप में मनपा तिजोरी की चाबी सौंपी। यहां तक कि परिवहन समिति, सामान्य प्रशासन समिति जैसी कई समितियों पर पदाधिकारियों के रूप में पूर्व नागपुर को ही सर्वाधिक मौका मिला है।
भाजपा के कार्यकाल में उत्तर नागपुर में केवल वीरेन्द्र कुकरेजा के रूप में एक वर्ष के लिए स्थायी समिति का सभापति चुना गया जिसके बाद से उत्तर नागपुर की झोली खाली है। इसी तरह से दक्षिण नागपुर को भी एक बार ही बड़े पदाधिकारी के रूप में प्रतिनिधित्व मिला है।






