स्वच्छ सर्वे में नागपुर (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur in Swachh Sarvekshan : नागपुर सिटी में स्वच्छता के लिए भले ही कई तरह के प्रयास किए जाने का महानगर पालिका की ओर से दावा किया जा रहा हो किंतु वास्तविक रूप में जमीनी स्तर पर यह कहीं भी दिखाई नहीं दे रही है। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा देश भर के स्वच्छ शहरों के लिए जारी रैंकिंग में सिटी की स्थिति ज्यों की त्यों है। घोषित की गई रैंकिंग के अनुसार नागपुर सिटी राष्ट्रीय स्तर पर 27वें स्थान पर है।
इससे पता चलता है कि तमाम प्रयासों के बावजूद स्वच्छता में सिटी की रैंकिंग नहीं सुधर पाई। ऐसे में कद्दावार नेताओं की इस सिटी में कम से कम स्वच्छता के मामले में सिटी कब बाजी मारेगी, इस तरह से सवाल उठने लगे हैं। आश्चर्यजनक यह कि केवल 10.2 प्रतिशत अंक बढ़ने के बावजूद स्थानीय प्रशासन द्वारा अपनी पीट थपथपाई जा रही है। उल्लेखनीय है कि घरों से कचरा देने पर शहर को वर्गीकरण श्रेणी में केवल 1 प्रतिशत अंक मिले जिस पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है।
केंद्र सरकार द्वारा लागू राष्ट्रीय स्वच्छता प्रतियोगिता, स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 में नागपुर ने 10 लाख से अधिक जनसंख्या की श्रेणी में 27वां स्थान हासिल किया। नवी मुंबई, पिंपरी चिंचवड़, पुणे, ठाणे, नासिक, कल्याण डोंबिवली, छत्रपति संभाजीनगर राज्य में नागपुर से आगे हैं। निश्चित ही नागपुर ने राज्य के 10 सबसे स्वच्छ शहरों में सम्मान जीता। मनपा ने शहर की स्वच्छता के लिए कई पहलुओं को लागू किया है।
यहां तक कि घरों से कचरा इकट्ठा करने के लिए दो अलग-अलग कंपनियों को प्रत्येक पांच जोनों की जिम्मेदारी दी है। इसके बावजूद घरों से कचरा इकट्ठा करने के लिए केवल 30 प्रतिशत अंक मिले हैं जिससे अब कम्पनियों की कार्यप्रणाली को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं जबकि महानगर पालिका की ओर से इन कम्पनियों को करोड़ों का भुगतान किया जा रहा है।
यह रैंकिंग चार चरणों में किए गए अलग-अलग सर्वेक्षणों के ज़रिए तय की गई। इसमें 10,000 अंकों में से कचरा संग्रहण, पृथक्करण, तालाबों की सफ़ाई, कचरे का निपटारा, डस्टबीन का इस्तेमाल, बाज़ार, बस्तियों की सफ़ाई और शौचालयों की सफ़ाई पर अंक दिए गए। 2500 अंकों में से खुले में शौच मुक्त शहर और कचरा मुक्त शहर पर अंक दिए गए। खुले में शौच मुक्त शहर की श्रेणी में नागपुर अच्छी स्थिति में है लेकिन कचरा मुक्त शहर के मामले में यह ‘शून्य’ दिखा रहा है।
स्कोर: 12,500 में से 9,328 (74.6%)
पिछले वर्ष के अंक: 9,500 में से 6163 (64.8%)
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पिछले वर्ष स्वच्छता को लेकर चलाए गए प्रयासों और अभियानों के कारण मनपा ने 27वां स्थान बरकरार रखा है। पिछले वर्ष की तुलना में यह स्कोर संतोषजनक है। कचरा विलगीकरण और घरेलू कचरा संग्रहण में निश्चित रूप से सुधार की आवश्यकता है। आने वाले वर्ष में इन दोनों पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करके नागपुर शहर को शीर्ष 10 में लाने का प्रयास किया जाएगा।
इस साल नागपुर का प्रदर्शन अपेक्षाकृत अच्छा रहा है। पिछले साल नागपुर को 9500 में से 6164 अंक मिले थे। कुल अंकों का प्रतिशत 64.8% था। इस साल नागपुर को 12500 में से 9328 अंक मिले हैं। कुल अंकों का प्रतिशत 74.6% है। हैरानी की बात यह कि घरों से कचरा अलग करने की श्रेणी में सिर्फ़ 1% अंक और घर-घर कचरा संग्रहण की श्रेणी में 30% अंक मिले। इससे मूल्यांकन और अंक देने की प्रणाली पर सवाल उठते हैं। मनपा को इन दोनों श्रेणियों में इस प्रणाली को चुनौती देनी चाहिए।
स्वच्छता सर्वेक्षण में नागपुर महानगर पालिका को इस साल 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की श्रेणी में 27वां स्थान मिला है। इस साल मनपा को कुल 12,500 में से 9,328 अंक मिले हैं। पिछले साल नागपुर को 9,500 में से 6,164 अंक मिले थे। यानी कुल अंकों का प्रतिशत 64.8 प्रतिशत था। इसकी तुलना में इस साल प्रतिशत बढ़कर 74.6 हुआ है। स्वच्छता सर्वेक्षण के कुछ मापदंडों में शहर के प्रदर्शन में काफी सुधार हुआ है।
मनपा द्वारा सीएंडडी अपशिष्ट, संपीड़ित बायोगैस परियोजना, बायोमाइनिंग परियोजना जैसी विभिन्न परियोजनाएं स्थापित की जा रही हैं। स्वच्छ मोहल्ला प्रतियोगिता, स्वच्छ बाज़ार, इको ब्रिक्स समेत विभिन्न स्कूलों में जनजागृति का काम किया जा रहा है। इन सभी गतिविधियों को नागरिकों का अच्छा प्रतिसाद भी मिल रहा है। स्वच्छ सर्वेक्षण में नागपुर की रैंकिंग बढ़ाने के लिए मनपा भविष्य में और भी बेहतर प्रयास करेगी।