
विधानभवन (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur Winter Session: शीतकालीन अधिवेशन के अंतिम दिन की पूर्व संध्या पर अंतिम सप्ताह प्रस्ताव के माध्यम से विपक्ष ने विधान परिषद में सरकार को किसान, भष्ट्राचार, महिला अत्याचार सहित विविध मुद्दों पर जमकर घेरा। सतेज पाटिल ने कहा कि किसानों के संदर्भ यह महत्वपूर्ण प्रस्ताव है और सारे मंत्री सदन से गायब हैं, इससे सरकार कितनी गंभीर है यह दिखता है।
उद्योगपतियों के 1600 करोड़ रुपये यह सरकार माफ करती है और बजट में किसानों के लिए 10-15 हजार करोड़ की मांग के बावजूद मात्र 600 करोड़ रुपयों का प्रावधान करती है। अतिवृष्टि से 84 लाख हेक्टेयर में फसलों का नुकसान हुआ है। सरकार ने 31,000 करोड़ का पैकेज घोषित किया है लेकिन आज भी बड़ी संख्या में किसान मदद से वंचित हैं।
पालघर के एक किसान को मात्र 2.30 रुपये का मुआवजा मिला है। यह किसानों का मजाक है। बीमा कंपनी की लूट जारी है। 6 एकड़ के अंगूर बाग का नुकसान हुआ लेकिन एक रुपया कंपनी ने नहीं दिया। सरकार सोयी हुई है। इस सरकार ने पूर्ण कर्जमाफी के लिए 30 जून तक का समय लिया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि 31 मार्च तक किसानों से कर्ज वसूली के लिए यह किया गया। बैंक किसानों से वसूली कर रहे हैं जबकि सरकार ने कर्ज वसूली नहीं करने की घोषणा की थी। उन्होंने मांग की कि सरकार तत्काल पूर्ण कर्जमाफी का निर्णय ले।
सदस्यों ने कहा कि राज्य में महिला अत्याचार व मर्डर की वारदातें बढ़ गई हैं। 14 वर्षीय किशोरवयीन लड़की से दुष्कर्म कर हत्या कर दी गई। अकेले मुंबई शहर में बीते 6 महीनों में 494 महिलाओं के साथ बलात्कार की घटना हुई। संतोष देशमुख हत्या प्रकरण में आरोपी अब तक गिरफ्तार नहीं हो पाया। पूरे राज्य में अपराध बढ़ गया है। सरकार इस पर नियंत्रण में असफल रही है।
पाटिल ने कहा कि महाराष्ट्र वैद्यकीय वस्तु खरीदी प्राधिकरण ने लगभग 700 करोड़ रुपये की दवा खरीदी टेंडर में शेड्युल एम जैसा शर्त लगाकर आपूर्तिकर्ताओं की स्पर्धा खत्म कर दी। यह खास सप्लायर को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया। दवा खरीदी के टेंडर में जीएसटी 15 प्रतिशत था जो बाद में 5 फीसदी किया गया लेकिन टेंडर की दर कम नहीं हुई। इसकी जांच होनी चाहिए।
यह सरकार भ्रष्टाचार में नंबर एक पर पहुंच गई। सड़क निर्माण में भारी घोटाला, सीएम ग्राम सड़क योना में निधि उपलब्ध न होते हुए भी टेंडरों को सुधारित मान्यता देने की कारगुजारी की जा रही है। एमपीएससी की परीक्षा ही नहीं हुई। पुलिस चयन के बाद प्रशिक्षण के लिए पर्याप्त जगह ही नहीं है। इस सरकार को अब तो जागना चाहिए।
सरकार के दुर्लक्ष के चलते स्थानीय निकाय चुनाव में बड़े पैमाने पर गैरव्यवहार हो रहा है। नगर परिषद चुनाव में पहले 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण घोषित करने के बाद कानूनी अड़चन आने की स्थिति बन गई है। बिना सरकार व प्रधान सचिव आदि को विश्वास में लिए चुनाव आयोग मनमानी आदेश जारी कर रहा है। उसके कई निर्णय सत्ताधारी विधायकों को भी मान्य नहीं है।
वोटिंग के पहली रात को 10 बजे तक प्रचार का आदेश, ऐनवक्त पर चुनाव चिन्ह बदल देना जैसे मनमानी निर्णय आयोग ले रहा है। राज्यभर में अनेक विकास कार्य, खासकर ग्रामीण भागों में सिंचाई योजना, जलापूर्ति योजना सहित मूलभूत सुविधाओं के कार्य वर्षों से लटके पड़े हैं।
अकेले मुंबई में 20 हजार से अधिक गड्ढे सड़कों में हैं। मुंबई, पुणे, नागपुर प्रदूषण के चपेट में है। फुटपाथों पर कब्जा है। विपक्षी सदस्यों ने कहा कि सरकार हर क्षेत्र में विफल रही है, सिर्फ घोषणाबाजी चल रही है।
शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के विप सदस्य अनिल परब ने कहा कि न प्रशासन सुनता है और न ही यह सरकार। मैंने बीते सत्र में जो मुद्दे उठाये थे उस पर अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया। उन्होंने कहा कि इस बार मैं कोई नया नहीं बल्कि वही पुराना मुद्दा सदन में रख कर अपेक्षा करता हूं कि यह सरकार अपनी छवि सुधारने के लिए ही सही, कुछ ठोस कार्रवाई करेगी।
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उन्होंने आरटीओ के अतिरिक्त परिवहन आयुक्त भरत कडसकर के भ्रष्टाचार, वसूली और खुद को सर्वेसर्वा बताते हुए पूरे दम से जो ट्रेनरों को भाषण दिया, उसके 2 पेनड्राइव सभापति राम शिंदे के सुपुर्द कर एसीबी जांच की मांग की। उन्होंने बताया कि विभाग के 331 असिस्टेंट मोटर इंस्पेक्टरों की पदोन्नति के लिए प्रति अधिकारी 50 लाख रुपये की मांग की। 245 ने मुख्यमंत्री से शिकायत की।
उन्होंने शिकायतकर्ताओं के हस्ताक्षर वाली प्रति भी सभापति को दी। यह अधिकारी अपना काला धन तीन शेल कंपनियों के माध्यम से किस तरह व्हाइट करता है इसकी भी जानकारी सबूतों के साथ दी। नगर विकास विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा कैसे कृषि उपयोग के लिए संस्था को दी गई जमीन 4 करोड़ में बिल्डर को बेची गई वह मामला भी सदन में उठाया।
एक बिल्डर द्वारा केन्द्र सरकार के कोस्टल के लिए आरक्षित जमीन पर कैसे शोरूम खड़े किये, यह मामला भी सदन में रखा। उन्होंने कहा, अगर सरकार संवेदनशील है तो जांच करे। अगर मैं गलत हुआ तो मुझ पर कार्रवाई की जाए।






