
कोयला (सौजन्य-IANS)
CBI Coal Raid 2025: महाराष्ट्र के कोयला बेल्ट में अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक धमाका सामने आया है। निलजई कोयला खदान और महामाया कोल वॉशरी में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की 48 घंटे तक चली मैराथन छापेमारी ने उस ‘ब्लैक बॉक्स’ को खोल दिया है, जिसमें वर्षों से हजारों करोड़ रुपये का काला खेल दफन था।
अव्वल दर्जे के कोयले को ‘रिजेक्ट कोल’ बताकर बेचना, तौल में हेराफेरी, फर्जी रिकॉर्ड, ट्रांसपोर्ट नेटवर्क के जरिये अवैध कमाई, जांच की शुरुआती तस्वीर ही रोंगटे खड़े करने वाली है। सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे घोटाले की रकम 13 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा आंकी जा रही है। CBI की 12 सदस्यीय विशेष टीम ने निलजई खदान, महामाया कोल वॉशरी, वेब्रिज (तौल केंद्र), सब-एरिया कार्यालय और कुबेर के खजिने के लिये प्रसिद्ध घुगूस के वंदना ट्रांसपोर्ट से जुड़े कई ठिकानों पर एक साथ दबिश दी।
देर रात तक चली तलाशी में फाइलों के ढेर, कंप्यूटर हार्ड डिस्क, लैपटॉप, पेन ड्राइव, तौल पर्चियां, डिस्पैच रजिस्टर और संदिग्ध दस्तावेज जब्त किए गए। जांच एजेंसी ने कोयले की गुणवत्ता, डिस्पैच और भुगतान से जुड़े रिकॉर्ड को खंगाला, जिनमें गंभीर अनियमितताओं के पुख्ता संकेत मिले हैं। सूत्रों का दावा है कि बिजलीघरों और सरकारी उपभोक्ताओं को भेजे जाने वाले कोयले में भारी गड़बड़ी की गई है।
उच्च गुणवत्ता वाले कोयले को कागजों में ‘रिजेक्ट’ दिखाकर निजी कंपनियों को औने-पौने दामों पर बेच दिया गया, जबकि सरकारी इकाइयों को घटिया कोयला सप्लाई किया गया है। अनुमान है कि करीब 2.75 करोड़ टन से अधिक शुद्ध कोयले को रिजेक्ट बताकर बाजार में उतारा गया है। यदि औसतन 4 से 5 हजार रुपये प्रति टन की दर से भी हिसाब लगाया जाए, तो घोटाले की रकम हजारों करोड़ रुपये तक पहुंचती है।
CBI की जांच में वेब्रिज की भूमिका बेहद संदिग्ध मानी जा रही है। ट्रकों के वास्तविक वजन और दर्ज वजन में बड़ा अंतर पाया गया। आरोप है कि एक ही वाहन को अलग-अलग चालानों पर दिखाकर कोयले की खेपों को कागजों में इधर-उधर किया गया है। वजन कम-ज्यादा दिखाकर न सिर्फ सरकारी राजस्व को चूना लगाया गया, बल्कि काले धन का बड़ा नेटवर्क भी खड़ा किया गया। इस संबंध में वेब्रिज ऑपरेटरों, सुपरवाइजरों और संबंधित अधिकारियों से घंटों पूछताछ की गई है।
निलजई खदान से महामाया कोल वॉशरी, ट्रान्सपोर्ट कंपनी तक फैला यह मामला महाराष्ट्र ही नहीं, देश के सबसे बड़े कोयला घोटालों में शुमार हो सकता है। 48 घंटे की CBI रेड ने साफ कर दिया है कि कोयले की काली दुनिया में छिपे राज अब ज्यादा दिन छिपे नहीं रहेंगे। अब निगाहें CBI की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं, क्योंकि इस बार दांव सिर्फ करोड़ों का नहीं, पूरे सिस्टम की साख का है।
CBI की रेड के बाद वंदना ट्रान्सपोर्ट कंपनी के संचालक ने 50 पेटी साथ लेकर सेटिंग के सारे प्रयास किये। लेकीन सभी प्रयास विफल रहे। सुत्रो के मुताबीत ट्रांसपोर्ट नेटवर्क इस घोटाले की रीढ़ बताया जा रहा है। घुगूस के वंदना ट्रांसपोर्ट कंपनी की गाड़ियों, जीपीएस डेटा, ई-वे बिल और रूट मैपिंग की गहन जांच शुरू हो चुकी है।
यह भी पढ़ें – Big News: गोंदिया में कमांडर समेत 3 माओवादियों ने डाले हथियार, ₹20 लाख का था इनाम, नक्सलियों से अपील
सूत्रों के मुताबिक, कई ट्रकों के रूट बदले गए, खेपों को बीच रास्ते में उतारा गया और फर्जी एंट्री कर दी गई। जांच एजेंसी यह भी पता लगा रही है कि किन अधिकारियों की मिलीभगत से यह पूरा खेल बेरोकटोक चल रहा है।
CBI ने जब्त किए गए डिजिटल उपकरणों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है। ई-मेल, बिलिंग सॉफ्टवेयर, ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम और अकाउंटिंग डेटा से बड़े नामों की भूमिका उजागर होने की संभावना जताई जा रही है।आशंका है कि यह घोटाला केवल स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं, बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर के प्रभावशाली लोगों तक इसकी जड़ें फैली हुई हैं।
CBI सूत्रों का कहना है कि यह कार्रवाई अभी शुरुआती चरण में है। प्राथमिक जांच पूरी होते ही खदान प्रबंधन, वॉशरी संचालकों, ट्रांसपोर्टरों और संदिग्ध अधिकारियों से पूछताछ तेज होगी। यदि आरोप साबित होते हैं, तो आने वाले दिनों में बड़ी गिरफ्तारियां और चार्जशीट दाखिल की जा सकती है।






