
विधानभवन (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur Aseembly Session: नागपुर का शीतकालीन सत्र पूरे सप्ताह विपक्ष के नेता (एलओपी) पद के इर्द-गिर्द घूमता रहा। सत्र की शुरुआत से लेकर अंतिम सप्ताह प्रस्ताव पेश करने तक की घटनाओं पर सबकी निगाहें टिकी रहीं। शनिवार को जब कांग्रेस के विधानमंडल दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने अंतिम सप्ताह प्रस्ताव पेश किया, तो विभिन्न चर्चाएं शुरू हो गईं।
इस दौरान भाजपा विधायकों ने सदन में ‘ताना’ मारते हुए कहा कि असल में विपक्ष के नेता तो वडेट्टीवार ही हैं। इस पर ठाकरे गुट के विधायकों ने पलटवार करते हुए कहा कि एमवीए (महा विकास आघाड़ी) ने भास्कर जाधव का संयुक्त प्रस्ताव दिया है। आपकी ही नीयत ईमानदार नहीं है। इस तरह यह चर्चा फिर से शुरू हो गई।
सत्र के छठे दिन विपक्ष का अत्यंत महत्वपूर्ण अंतिम सप्ताह प्रस्ताव कांग्रेस नेता वडेट्टीवार ने पेश किया। इसके बाद प्रस्ताव के विभिन्न मुद्दों को छोड़कर सदन में केवल ‘विपक्ष के नेता’ पद को लेकर ही बहस छिड़ गई। भाजपा के डॉ. संजय कुटे ने कहा कि विजय वडेट्टीवार ‘पराक्रमी शेर’ हैं।
विपक्ष के नेता पद के लिए उनके नाम पर चर्चा थी लेकिन पता नहीं क्या हुआ। उधर से भास्कर जाधव का नाम आया। वहीं आदित्य ठाकरे का नाम भी आया। हालांकि वडेट्टीवार ही असली विपक्ष के नेता हैं। उन्होंने ही अंतिम सप्ताह प्रस्ताव पेश किया।
इस पर ठाकरे गुट के सदस्य भड़क गए। विधायक सिद्धार्थ खरात ने एमवीए द्वारा भास्कर जाधव के नाम का प्रस्ताव दिए जाने की याद दिलाते हुए कहा कि ‘आपकी नीयत ठीक नहीं है’। वहीं डॉ. कुंटे ने तंज कसते हुए कहा कि ढाई पेज के अंतिम सप्ताह प्रस्ताव में एक पेज वडेट्टीवार का है, एक पेज भास्कर जाधव का है और बाकी आधा पेज दूसरों का है। उन्होंने अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा कि चूंकि प्रस्ताव पेश करने वाले वडेट्टीवार हैं, इसलिए भले ही उनका नाम इस पद के लिए न हो, वे ही असली विपक्ष के नेता लगते हैं।
रविवार को सत्र का आखिरी दिन है। विपक्ष के नेता पद के लिए ठाकरे गुट के नेता भास्कर जाधव के नाम का प्रस्ताव पहले से ही विधानसभा अध्यक्ष के पास लंबित है। अब तक तीन सत्र हो चुके हैं। विधानसभा अध्यक्ष यह कहकर धैर्य बंधा रहे हैं कि उचित समय पर निर्णय लिया जाएगा। वहीं सरकार यह अधिकार विधानसभा अध्यक्ष का बताते हुए पल्ला झाड़ रही है।
यह भी पढ़ें – RSS स्मारक से दूरी या दबाव की राजनीति? अजित पवार ने महायुति में खींची लकीर! NCP के इरादे साफ
ठाकरे गुट के पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी नागपुर आकर इस मुद्दे को उठाया और सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने मांग रखी थी कि यदि विपक्ष का नेता नहीं दिया जा रहा है, तो असंवैधानिक उपमुख्यमंत्री पद को रद्द किया जाए। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या आखिरी दिन कोई निर्णय होगा या विपक्ष को टाल दिया जाता रहेगा।






