
भास्कर जाधव का आरोप, 10% की शर्त कानून में है ही नहीं
Maharashtra politics: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के वरिष्ठ नेता भास्कर जाधव ने सोमवार को आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री विपक्ष के नेता पद के लिए 10 प्रतिशत सदस्यों की आवश्यकता होने का झूठा प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा सचिव और मुख्य सचिव द्वारा दिए गए पत्रों में ऐसी कोई शर्त नहीं है।
संविधान, विधानमंडल अधिनियम या किसी भी कानून में ‘10 प्रतिशत’ का कोई प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद गलत जानकारी देकर जनता को भ्रमित किया जा रहा है और मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री बार-बार झूठ बोलकर ऐसा माहौल बना रहे हैं।
जाधव ने कहा कि जब विपक्ष के नेता का पद देना होता है तब सरकार 10 प्रतिशत की शर्त का हवाला देती है; लेकिन जब यह पद हटाने की बात आती है, तो यही शर्त याद नहीं रहती। उन्होंने आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे सरकार गिरने के बाद से विधानमंडल की परंपराओं और कानून का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है। विपक्ष के नेता पद पर आदित्य ठाकरे को लाए जाने की अफवाहों पर जाधव ने कहा कि ऐसी खबरों पर विश्वास न करें। साथ ही उन्होंने सवाल उठाया। जब सरकार के पास पूर्ण बहुमत है, तो उसे विपक्ष से डर कैसा?
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उद्योग मंत्री उदय सामंत ने कहा कि भास्कर जाधव को विपक्ष के नेता का पत्र दिया गया था, लेकिन अब नाम बदलने की संभावना जताई जा रही है और इसी से विवाद शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि यह अधिकार विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद के सभापति के पास है। सामंत ने तंज करते हुए कहा कि जाधव अनुभवी और आक्रामक हैं, इसलिए उन्हें शिवसेना में रोका गया, अब उन्हें पार्टी की मंशा समझ में आएगी।
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विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा विधायक नितेश राणे ने कहा कि विपक्ष के नेता का पद संख्या और नियमों के आधार पर तय होता है, न कि किसी की आक्रामकता पर। उन्होंने कहा कि जाधव को पद मिलना उनका अधिकार था। लेकिन आदित्य ठाकरे का नाम चर्चा में आने पर राणे ने कहा कि जाधव हमेशा कोने में धकेले जाते रहे हैं। यह स्पष्ट है कि यह पूरा खेल कुछ और है और ठाकरे यूं ही किसी को पद नहीं देते।






