बॉम्बे हाई कोर्ट नागपुर बेंच (pic credit; social media)
Maharashtra News: नागपुर के लगभग 204 गांवों में अंतिम संस्कार के लिए श्मशान भूमि नहीं होने की छपी खबर पर स्वयं संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया है। मंगलवार को सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने खबर को याचिका के रूप में प्रेषित करने एवं अदालत की मदद के लिए अधि. यश वेंकटरमन को अदालत मित्र के रूप में नियुक्त किया। साथ ही 3 सप्ताह के भीतर सटीक याचिका प्रस्तुत करने का आदेश अदालत मित्र को दिया।ट
समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार अंतिम सफर में इंसान सिर्फ एक शांत कोना चाहता है, जहां उसे सम्मानपूर्वक विदाई दी जा सके। लेकिन नागपुर जिले के 204 गांवों में आज भी श्मशान भूमि नहीं है। नतीजतन यहां के लोगों को अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार खुले में, नदी किनारे या बंजर जमीन पर मजबूरी में करना पड़ता है। यह स्थिति न केवल अपमानजनक है बल्कि इंसानियत के मायने भी खोती जा रही है।
खबर के अनुसार जिले के 13 तहसीलों में फैले इन 204 गांवों में कहीं जमीन ही उपलब्ध नहीं है। कुछ गांवों में तो कहीं जमीन पर विवाद है या फिर वह निजी स्वामित्व में है। ग्राम पंचायतों द्वारा बार-बार मांग किए जाने के बावजूद प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
ग्रामवासियों का कहना है कि यह समस्या सामाजिक ही नहीं बल्कि पर्यावरणीय संकट भी पैदा कर रही है। कई बार अंतिम संस्कार के लिए ग्रामीणों को पड़ोसी गांवों में जाना पड़ता है जिससे आर्थिक व मानसिक परेशानी और बढ़ जाती है। खुले में किए जाने वाले अंतिम संस्कारों से अधूरा दहन, दुर्गंध और प्रदूषण बढ़ता है।
इससे बीमारियां फैलने का खतरा रहता है। कई जगह लोगों को निजी खेतों या अन्य जमीनों पर मजबूरी में चिता सजानी पड़ती है जिससे जमीन मालिकों के साथ विवाद खड़े होते हैं।
खबर में बताया गया कि परंपरागत ढंग से, समय और स्थान पर अंतिम संस्कार कर पाना ही गांव वालों के लिए असंभव हो गया है। दूरदराज ले जाकर अंतिम संस्कार करने पर न सिर्फ अतिरिक्त खर्च (लकड़ी, मजदूरी, परिवहन) बढ़ता है बल्कि वृद्ध, महिलाएं और बच्चे भी कष्ट उठाते हैं।
सम्मानजनक अंत्येष्टि हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है लेकिन शासन की अनदेखी से यह अधिकार छीना जा रहा है। जिन गांवों में जमीन है भी वहां वह जमीन या तो वन विभाग, झाड़ियों वाले जंगल या फिर राज्य सरकार के अलग-अलग विभागों के अधीन है। इन विभागों से अनुमति लेने की प्रक्रिया लंबी और जटिल है। परिणामस्वरूप कई बार श्मशान भूमि सौंदर्यीकरण के लिए आया फंड भी जमीन न मिलने से वापस लौट जाता है।
गांवों की स्थिति (आंकड़े अनुसार)
जमीन न होने वाले गांव : 30
वन विभाग की जमीन वाले गांव : 85
झाड़ीदार जंगल वाली जगह : 27
शासन की जमीन वाले गांव : 12
अन्य विभागों की जमीन वाले गांव : 50
कुल प्रभावित गांव : 204