बाघ तस्कर पर हाई कोर्ट का कड़ा रुख (फाइल फोटो)
Tiger Smuggler: बाघ तस्कर का आरोपी लालनेइसुंग लालथलांग हमार की गिरफ्तारी के बाद कई खुलासे हुए। इस मामले में हुई छानबीन के बाद अन्य आरोपियों के साथ ही याचिकाकर्ता निंग सान लुन को भी म्यांमार से गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी की प्रक्रिया में मूलभूत अधिकारों का हनन होने का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने एक आपराधिक आवेदन दायर कर दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां जमा करने से छूट की मांग की। दोनों पक्षों की दलीलों के बाद न्यायाधीश अनिल पानसरे और न्यायाधीश सिद्धेश्वर ठोंबरे ने कड़ा रुख अपनाते हुए अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि मामले के उचित निर्णय के लिए स्पष्ट दस्तावेज दाखिल करना सभी के हित में है।
कोर्ट ने मुख्य याचिका पर भी सख्ती बरतते हुए कहा कि याचिका में मौजूद सभी कार्यालयीन आपत्तियों को एक सप्ताह के भीतर दूर किया जाए। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि समय सीमा के भीतर आपत्तियों को दूर नहीं किया गया तो याचिका आदेश का पालन न करने के कारण स्वतः खारिज हो जाएगी। यदि आपत्तियां हटा दी जाती हैं तो मामले पर नियमों के अनुसार आगे की कार्यवाही की जाएगी।
पूरे मामले की जांच के दौरान लालनेइसुंग लालथलांग हमार और सह आरोपी अजीत पारधी के बीच सीधा संबंध सामने आया था। बैंक स्टेटमेंट से पता चला कि हमार ने अजीत पारधी के खाते में रकम स्थानांतरित की थी। कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) भी एकत्र किए गए थे जिनसे पता चला कि आवेदक अन्य आरोपियों के संपर्क में था और उसने सह आरोपी से सामग्री प्राप्त करने के लिए शिलांग से गुवाहाटी की यात्रा की थी।
हमार के सहयोगी के रूप में मामले की सह आरोपी निंग सान लुन और उनके पति कपलियान मुंग के बयान वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम की धारा 50(8)(D) के तहत दर्ज किए गए थे। इन बयानों से पता चला कि हमार बाघ की खाल, हड्डियों और दांतों को निंग सान लुन को बेच रहा था।
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