पहले ही दिन 5 हज़ार उपासकों ने ग्रहण की धम्मदीक्षा (सौजन्य: सोशल मीडिया)
Dhammachakra Pravartan Din: 69वें धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के अवसर पर पवित्र दीक्षाभूमि एक बार फिर से भक्ति, श्रद्धा और धम्ममय वातावरण से गूंज उठी। मंगलवार को आरंभ हुए तीन दिवसीय धम्मदीक्षा महोत्सव में देश-विदेश से आए अनुयायियों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। कार्यक्रम के पहले ही दिन पाँच हज़ार से अधिक उपासकों और उपासिकाओं ने श्रामणेर धम्मदीक्षा ग्रहण कर नया जीवन आरंभ किया।
सुबह 9:30 बजे डॉ. बाबासाहब आंबेडकर स्मारक समिति के अध्यक्ष तथा धम्मसेना नायक भदंत आर्य नागार्जुन सुरई ससाई की प्रमुख उपस्थिति में बुद्ध वंदना के साथ समारोह का शुभारंभ हुआ। इसके पश्चात दीक्षा कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ, जो देर शाम तक चलता रहा।
इस अवसर पर जापान से 30 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल विशेष रूप से उपस्थित रहा। इनमें से कुछ अनुयायियों ने भी श्रामणेर दीक्षा लेकर बुद्ध धम्म को अपनाया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धम्म का यह प्रसार दीक्षाभूमि की पवित्रता और महत्व का जीवंत प्रमाण माना जा रहा है।
धम्मदीक्षा समारोह का आयोजन डॉ. बाबासाहब आंबेडकर स्मारक समिति तथा भिक्खु संघ के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। मंच पर भंते नागसेन, भंते प्रज्ञाबोधि, भंते अश्वजित, भंते धम्मविजय, भंते महानागा, भंते कश्यप, भंते बुद्धघोष, भंते धम्मप्रकाश, भंते मिलद, भंते धम्मशील, भंते संघ शांतीनागा सहित अनेक भिक्खु उपस्थित थे, जिन्होंने अनुयायियों का मार्गदर्शन किया।
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दीक्षा ग्रहण करने वाले उपासकों के लिए पंजीयन की व्यवस्था की गई थी। एक आवेदन पत्र में एक ही परिवार के अधिकतम पाँच अनुयायियों का नाम दर्ज किया गया। दीक्षा ग्रहण करने के उपरांत प्रत्येक को प्रमाणपत्र प्रदान किया गया। धम्मसेना के कार्यकर्ता और पदाधिकारी पूरे दिन सेवा और व्यवस्था में लगे रहे। विशेष रूप से दीपक मुंघाटे और गणेश दुपारे सहित कई पदाधिकारियों ने कार्यक्रम को सुचारु बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
दीक्षाभूमि का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व प्रतिवर्ष लाखों लोगों को आकर्षित करता है। इस अवसर पर भदंत सुरई ससाई ने कहा दीक्षाभूमि केवल स्मारक नहीं, बल्कि प्रेरणा की जीवंत भूमि है। यहाँ से प्राप्त ऊर्जा जीवन में नई दिशा और सकारात्मकता देती है। यही कारण है कि हर वर्ष देश और विदेश से लाखों लोग यहाँ पहुँचते हैं और धम्मदीक्षा लेकर नवजीवन की ओर अग्रसर होते हैं।