दीक्षाभूमि (सोर्स: सोशल मीडिया)
Dhamma Chakra Pravartan Divas: नागपुर में स्थित पवित्र दीक्षाभूमि में 69वां धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस मंगलवार से धम्म दीक्षा समारोह के साथ शुरू हो रहा है। यह समारोह 3 दिनों तक चलेगा। मुख्य समारोह गुरुवार, 2 अक्टूबर को शाम 6 बजे होगा। देशभर में महाबोधि महाविहार आंदोलन की तीव्रता को देखते हुए इस वर्ष अनुयायियों की संख्या में वृद्धि होने की उम्मीद है। इस संबंध में स्मारक समिति के साथ मिलकर प्रशासन आवश्यक व्यवस्थाएं कर रहा है।
30 सितंबर को सुबह 8 बजे से 2 अक्टूबर तक स्मारक समिति के अध्यक्ष एवं भदंत आर्य नागार्जुन सूरई ससाई द्वारा बौद्ध धम्म की दीक्षा प्रारंभ होगी। उनके साथ अन्य प्रमुख भिक्षु उपस्थित रहेंगे। 1 अक्टूबर को दीक्षाभूमि पर भदंत आर्य सूरई ससाई द्वारा पंचशील ध्वज फहराया जाएगा। इस समय स्मारक समिति के सभी सदस्य उपस्थित रहेंगे।
1 अक्टूबर को शाम 6 बजे मुख्य चर्चा हॉल में भदंत ससाई की अध्यक्षता में धम्म परिषद का आयोजन होगा। इसमें जापान, थाईलैंड, मलेशिया और विदेशों के साथ-साथ भारत से भी बौद्ध भिक्षु उपस्थित रहेंगे। रात 9 बजे धम्म दीक्षा समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा। मुख्य समारोह के बाद शाम 6 बजे भव्य नाटक ‘संविधान’ प्रस्तुत किया जाएगा।
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर स्मारक समिति के सचिव डॉ. राजेंद्र गवई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इस वर्ष भारी बारिश के कारण दीक्षाभूमि परिसर में काफी कीचड़ जमा हो गया है। अनुयायियों को असुविधा से बचाने के लिए आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं और डॉ. आंबेडकर कॉलेज तथा आसपास के क्षेत्र के अन्य सरकारी संस्थानों को अनुयायियों के लिए खोला जा रहा है।
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राजेंद्र गवई ने बताया कि मुख्य समारोह में उत्तर प्रदेश के सारनाथ में धम्म शिक्षण केंद्र के संस्थापक अध्यक्ष भदंत चंदिमा थेरो और चंडीगढ़ के परिवहन और मत्स्य पालन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राज शेखर वृंद्रू उपस्थित रहेंगे। पत्र-परिषद में समिति के सदस्य सुधीर फुलझेले, विलास गजघाटे, एनआर सुटे, डॉ. प्रदीप आगलावे आदि उपस्थित थे।
महाबोधि आंदोलन के दौरान गिरफ्तार होकर सुर्खियों में आए भंते विनाचार्य के योगदान पर सवाल उठाते हुए नागपुर में उनके अनुयायियों ने उन्हें मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने का कड़ा विरोध किया।
धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस पर किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो, इसके लिए धार्मिक दार्शनिकों और समाज के अन्य विचारकों को आमंत्रित करने पर जोर दिया गया और इस इनकार की सूचना उन्हें तुरंत दी गई। इस पर स्मारक समिति के अन्य सदस्यों ने यह रुख अपनाया कि सभी से चर्चा करके निर्णय लिया जाएगा। उन्हें इसकी सूचना दी जाएगी।