दीक्षाभूमि (सौजन्य-नवभारत)
Deekshabhoomi: नागपुर में ‘भारत रत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के प्रति मन में अपार श्रद्धा है। उनकी इस पवित्र भूमि को स्पर्श करने की बहुत इच्छा थी। इसलिए हम 3 दिन पहले ही नागपुर आ गए। स्मारक में अस्थियों के दर्शन किए जिससे मन को शांति और एक नई ऊर्जा मिली।’ ये शब्द तेलंगाना से आए उन आंबेडकरी अनुयायियों के हैं जो अपनी आस्था के चलते नागपुर की दीक्षाभूमि पहुंचे थे।
हालांकि बाबासाहब के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा के बावजूद उन्हें यहां अव्यवस्था का सामना करना पड़ा जिससे उन्हें काफी निराशा हुई। तेलंगाना के आदिलाबाद के पास स्थित निर्मल जिले के भैसा मंडल के महागांव खासगांव से सफेद वस्त्र धारण किए इन महिला और पुरुषों के बड़े जत्थे ने पवित्र दीक्षाभूमि पर पहुंचकर सभी का ध्यान आकर्षित किया। ये अनुयायी किसान और छोटे-मोटे व्यवसायी हैं जिन्होंने आपस में पैसे इकट्ठा करके एक बस किराये पर ली और लगभग 30-32 लोग एक साथ नागपुर आए।
उन्हें उम्मीद थी कि यहां रहने और खाने की न्यूनतम व्यवस्था मिल जाएगी लेकिन सुरक्षा कारणों से उन्हें दीक्षाभूमि के आसपास रुकने भी नहीं दिया गया। उन्हें खाने-पीने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा और बारिश में 2 दिन गुजारने पड़े। इस समूह में आनंद शेंदरे, अमृत शेंदरे, राष्ट्रपाल शेंदरे, गंगाबाई शेंदरे और अन्य लोग शामिल थे।
अपनी 3 दिवसीय यात्रा के दौरान उन्होंने दीक्षाभूमि के अलावा ड्रैगन पैलेस टेम्पल और नागलोक जैसे बौद्ध स्थलों का भी दौरा किया। उन्होंने कहा कि नागपुर की भूमि डॉ. बाबासाहेब के कारण पवित्र है। इस पुण्यभूमि पर आकर हमें बहुत संतोष मिला। उन्होंने यह भी बताया कि आज तेलंगाना में एक बड़ी बौद्ध क्रांति हो रही है और वहां डॉ। आंबेडकर, संविधान और लोकतंत्र में विश्वास रखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
अनुयायियों ने कहा कि तेलंगाना सरकार उनके साथ खड़ी है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए कई अच्छी योजनाएं शुरू की हैं और किसानों का भी पूरा समर्थन कर रही है। उन्होंने कहा कि आंबेडकरी अनुयायी होने के नाते वहां असुरक्षा का कोई माहौल नहीं है और हम बिना किसी डर के अपने विचार मजबूती से रख पाते हैं। अनुयायियों ने मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी को एक अच्छा मुख्यमंत्री बताया।
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एक ओर जहां दीक्षाभूमि पर धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस की तैयारियां चल रही थीं तो दूसरी ओर एक विवाह समारोह भी संपन्न हुआ। अकोला के निलेश काले और चंद्रपुर की भूमि तामगाडगे विवाह के परिधान में दीक्षाभूमि पहुंचे। उन्होंने बताया कि उनकी इच्छा थी कि उनका विवाह इसी पवित्र स्थल पर हो। इसके लिए दोनों के परिवार बड़ी संख्या में यहां उपस्थित हुए।