
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स:सोशल मीडिया )
Nagpur Devendra Fadnavis Hindi news: उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बिल्कुल भी नाराज नहीं हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आज स्पष्ट किया कि जब हम दो अलग-अलग दिशाओं में देखते हैं तो फोटोग्राफर तस्वीरें ले लेते हैं और फिर अपने हिसाब से उसकी व्याख्या करते हैं।
शिंदे दिल्ली गए या कहीं भी गए, वे हमारे साथ हैं। मित्र दलों के साथ अपने अच्छे संबंध होने की बात कहते हुए उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मैं कोई पार्टी नहीं चलाता। उन्होंने कहा कि जो दल हमारे साथ हैं, जिनके विधायक मित्र हैं, जरूरत पड़ने पर हम उनकी मदद करेंगे।
यह टिप्पणी हाल ही में मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा के उस बयान के संदर्भ में आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि देवेंद्र फडणवीस तीनों दलों को चलाते हैं। वे एक निजी चैनल को दिए साक्षात्कार में बोल रहे थे। उन्होंने राज्य की विभिन्न राजनीतिक स्थितियों पर टिप्पणी की।
उन्होंने कहा कि राज ठाकरे अपने फैसले खुद लेते हैं। राज ठाकरे जहां भी जाते हैं, वह एक दोस्त के रूप में जाते हैं। उद्धव ठाकरे या एमवीए राज ठाकरे को पसंद नहीं करते। उन पर आरोप लगाने के लिए उनका इस्तेमाल किया जा रहा है।
उन्होंने राज ठाकरे को इस बारे में सोचने की सलाह दी। फडणवीस ने कहा कि अब (महाविकास आघाड़ी में हमारे पास (राज ठाकरे के लिए) कोई जगह नहीं है। उनके पास कोई गुंजाइश नहीं है, इसलिए उन्होंने सोचा होगा कि (वहां) गुंजाइश है तो वे वहां गए। इस बार उन्होंने मुंबई में ‘ठाकरे ब्रांड’ पर भी चर्चा की।
उन्होंने कहा कि बालासाहेब ठाकरे मुंबई में एक ब्रांड थे। उनके बाद अब कोई ब्रांड नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा मुंबई में नंबर एक पार्टी बनेगी। भाजपा मुंबई में एक मित्र पार्टी के साथ गठबंधन करेगी। तीनों मित्र दल मिलकर मुंबई के मेयर का फैसला करेंगे, उन्होंने एक सवाल के जवाब में यह भी कहा। हमारी पार्टी समावेशी है। महाराष्ट्र ने बार-बार दिखाया है कि जाति मतदान का मापदंड नहीं है। हमारा नेतृत्व समावेशी है।
इस साक्षात्कार में सीएम देवेंद्र ने कई अन्य सवालों के जवाब भी अपने चिरपरिचित अंदाज में साफगोई से दिए। डीसीएम से फिर से सीएम बनने के बारे में उन्होंने कहा कि मेरे जीवन के घटनाक्रम को आप देखेंगे तो मैं जिस भी रोल में जाता हूं एक झटके में जैकेट बदल लेता हूं।
विधायक से मुख्यमंत्री बना तो एक दिन में सीएम के रोल में आ गया। सीएम से विपक्ष का नेता बना तो पहले ही अधिवेशन से सरकार को सोने नहीं दिया। विपक्ष के नेता से उप मुख्यमंत्री बना तो कभी मेरे में यह ख्याल नहीं आया कि मैं मुख्यमंत्री था।
मैं पूरी तरह से उप मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी निभाने में तल्लीन हो गया, इसलिए फिर से सीएम के रोल में आना आसान हो गया, जिस दिन फिर से मुख्यमंत्री बना उसी दिन सोच लिया की पूरी जिम्मेदारी मेरी ही होगी और काम में जुट गया।
यह भी पढ़ें:-एफआईआर में नाम नहीं मतलब क्लीन चीट नहीं, पार्थ भूमि घोटाले पर सीएम का स्पष्ट रुख
इसलिए यह बदलाव मेरे लिए नया और कुछ कठिन भी नहीं है। बड़े काम कई कहे जा सकते हैं। असल में बीते ढाई वर्षों में हम अच्छी तरह से सरकार चलाने में सफल हुए फिर भी तब हम वार जोन में थे। हमारी सरकार लोकसभा चुनाव विधानसभा चुनाव ऐसे एक वार जोन में काम कर रही थी।
अब हम पीस जोन में आ गए हैं। इसी तरह से अब दीर्घकालीन लक्ष्यों के साथ हम काम कर रहे हैं। इसमें 100 दिनों का जो एजेंडा है वह आगे की दिशा तय करेगा। हमने सभी से उनके दिनों का लक्ष्य पूछा था। उसे भले ही 100 दिन पूरे हो गए है फिर भी हमने उन्हें 15 अप्रैल तक की मोहलत दी है। इस बीच उन्हें अपना लक्ष्य पूरा करके उसे प्रसारित करके लोगों को बताना है कि उन्होंने अपने लक्ष्य को कितना पूरा किया है।






