प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Direct Second Year Engineering Admission: इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स पूरा करने वाले छात्रों को सीधे डिग्री कोर्स के दूसरे वर्ष में प्रवेश मिलता है। इसलिए पिछले कुछ वर्षों में इन आरक्षित सीटों पर प्रवेश पाने के लिए डिप्लोमा पूरा कर चुके छात्रों का रुझान बढ़ रहा है। इस वर्ष इंजीनियरिंग डायरेक्ट सेकंड कोर्स के दूसरे राउंड के बाद 11,913 छात्रों ने प्रवेश लिया है। 20,566 सीटें अभी भी खाली हैं। अगले दो राउंड में कितने छात्र प्रवेश लेते हैं, यह महत्वपूर्ण होगा। तीसरे राउंड की मेरिट सूची 26 अगस्त को जारी की जाएगी।
इंजीनियरिंग सेकंड कोर्स में प्रवेश के लिए राज्य में 52,014 सीटें हैं। इस वर्ष इन सीटों के लिए मेरिट सूची में 57,810 छात्रों का चयन हुआ है। इन चयनित छात्रों में से दूसरे राउंड में 11,913 छात्रों ने प्रवेश लिया है जबकि 19,535 छात्रों ने ‘बेटरमेंट’ का विकल्प चुना है। यानी सीट कंफर्म की है लेकिन प्रवेश न लेकर अगले राउंड में गये हैं।
यदि इन छात्रों को उम्मीद के मुताबिक तीसरे राउंड में प्रवेश नहीं मिलता है तो उन्हें पहले दो राउंड में मिले कॉलेजों में प्रवेश लेना होगा। दो राउंड के बाद 20,566 सीटें खाली रह गई हैं। इन सीटों पर दाखिले के लिए तीसरे राउंड की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस राउंड की मेरिट लिस्ट 26 अगस्त को जारी की जाएगी। इस लिस्ट में दाखिला पाने वाले छात्र 28 से 30 अगस्त के बीच सीधे कॉलेज में दाखिला ले सकेंगे।
इंजीनियरिंग कोर्स की कुल सीटों की 10 फीसदी सीटें डायरेक्ट सेकंड ईयर के लिए आरक्षित होती हैं। 2023-24 में राज्य में 46,134 सीटें उपलब्ध थीं। इनमें से 34,716 सीटों पर प्रवेश हुये थे। 2024-25 में 60,245 सीटें उपलब्ध थीं। इनमें से 41,894 सीटों पर छात्रों ने प्रवेश लिया था। इस वर्ष सीटें घटी हैं। 52,014 सीटें ही रह गई हैं। इस वजह से कुछ छात्रों को प्रवेश से वंचित रहने की नौबत आ सकती है। दरअसल, कुछ कॉलेजों के स्वायत्त विश्वविद्यालय के रूप में तब्दील होने से सीटें कम हुई हैं। वहीं कुछ कॉलेजों ने सीटें भी कम की हैं।
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नागपुर विभाग में प्रथम वर्ष की करीब 20,000 सीटें हैं। डायरेक्ट सेकंड ईयर के लिए करीब 2,000 सीटें ही उपलब्ध हैं। दूसरे राउंड के बाद नामी कॉलेजों में सीटें लगभग भर गई हैं जबकि बेटरमेंट में जाने वाले छात्रों के कारण कुछ कॉलेजों में सीटें बची हैं। यदि तीसरे राउंड में मनपसंद कॉलेज नहीं मिला तो फिर छात्रों को उन्हीं कॉलेजों में प्रवेश लेना होगा जहां पहले प्रवेश मिला था। विभाग में पिछले वर्षों से सभी सीटें भर रही हैं।