नितिन गडकरी- अजित पवार- देवेंद्र फडणवीस (सौजन्य-एक्स)
Ajit Pawar: नागपुर में हुए एनसीपी अजित पवार गुट के चिंतन शिविर ने एक तरह से भाजपा को उसके गढ़ में ही चुनौती दी है। एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजित पवार ने कहा है कि कोई भी क्षेत्र किसी राजनीतिक पार्टी का स्थायी गढ़ नहीं होता। परिस्थिति के अनुसार परिणाम बदलते रहते हैं। उस समय जो पार्टी ज्यादा सीटें जीतती है वही उस क्षेत्र का प्रभावशाली दल माना जाता है। आज विदर्भ में बीजेपी के सबसे ज्यादा जनप्रतिनिधि हैं।
कभी यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार बड़ी संख्या में जीतकर आते थे। इसका मतलब यह नहीं होता कि किसी एक पार्टी का विदर्भ पर एकाधिकार है। उन्होंने यह भी कहा था कि सभी दलों को अपना संगठन बढ़ाने का अधिकार है। स्थानीय निकाय चुनाव में 2-4 सीटों पर किसी सूरत में समझौता नहीं किया जाएगा।
उनका यह वक्तव्य राजनीतिक महकमे खासकर भाजपा में हड़कंप मचाए हुए है। हालांकि उन्होंने शिविर में महायुति में शामिल भाजपा के साथ अपना गठबंधन और मजबूत करने की प्रतिबद्धता भी जताई है। बावजूद इसके चर्चा है कि वे विदर्भ में अपनी पार्टी की ताकत बढ़ाने के लिए पुरजोर तरीके से जुटने वाले हैं।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की वजह से विदर्भ में बीजेपी का प्रभाव मजबूत है। देश की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते कार्यकर्ताओं की अपेक्षाएं भी उनसे ज्यादा होती हैं मगर अन्य घटक दलों की अपेक्षाओं को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता। गठबंधन में बीजेपी के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस और शिंदे सेना भी शामिल हैं।
दोनों पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विधानसभा व लोकसभा चुनाव में भाजपा का साथ दिया लेकिन अब स्थानीय निकाय चुनाव में उन्हें भी सम्मानजनक सीटें चाहिए। बीते चुनाव में बीजेपी को मनपा में 108 सीटें मिली थीं। इस बार उसने 120 का लक्ष्य रखा है। ऐसे में उसे करीब 140 सीटों पर चुनाव लड़ना होगा। बाकी बचीं 11 सीटों पर महायुति के दो दल एनसीपी व शिंदे सेना संतुष्ट नहीं हो सकते।
उनके कार्यकर्ता तो अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी भी जता रहे हैं। वे अपने नेतृत्व से सवाल पूछ रहे हैं। इसे ही ध्यान में रखते हुए नागपुर में राष्ट्रवादी कांग्रेस ने राज्य भर के वरिष्ठ पदाधिकारियों की उपस्थिति में चिंतन शिविर आयोजित कर भविष्य की दिशा तय की।
विदर्भ में परंपरागत रूप से कांग्रेस और बीजेपी का ही वर्चस्व रहा है। समय-समय पर विदर्भ के मतदाता इन दोनों दलों में से किसी एक को समर्थन देते आए हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी थी जबकि सिर्फ 6 महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को मात दी। विदर्भ की जनता इन दोनों दलों को अवसर देती है। अब राष्ट्रवादी कांग्रेस को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसा संदेश देने का प्रयास चिंतन शिविर के माध्यम से किया गया।
यह भी पढ़ें – महीने भर में 50 लाख मराठाओं का ओबीसीकरण, ये क्या बोल गए कांग्रेस नेता, सियासी गलियारों में मची हलचल
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विभाजन के बाद विदर्भ की 10 लोकसभा सीटों में से एक भी सीट पार्टी को महायुति में नहीं मिली थी लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी को विदर्भ की 7 सीटें दी गईं। उनमें से 6 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। राष्ट्रवादी कांग्रेस का स्ट्राइक रेट महायुति के अन्य दोनों घटक दलों बीजेपी व शिंदे सेना से अधिक रहा। पार्टी नेता अपने स्ट्राइक रेट के चलते दावा कर रहे हैं कि विदर्भ की जनता उनके भी साथ है। वह विदर्भ में पार्टी विस्तार के लिए रोडमैप तैयार कर चुकी है। उस पर कार्य करने का संदेश कार्यकर्ताओं को शिविर में दिया गया। यह निश्चित रूप से भाजपा के लिए चुनौती साबित हो सकती है।