हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
High Court: लकड़गंज पुलिस थाना में पॉक्सो अंतर्गत दर्ज मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए अभियुक्त कुंदन भगत की ओर से हाई कोर्ट में गिरफ्तारी पूर्व जमानत की अर्जी दायर की गई। इस पर दोनों पक्षों की दलीलों के बाद न्यायाधीश वृषाली जोशी ने याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत प्रदान कर दी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता लुबेश मेश्राम और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील ए. घोघरे ने पैरवी की। आरोपों के अनुसार आरोपी कुंदन और पीड़िता की दोस्ती थी।
कुंदन पीड़िता के घर के पास फल बेचता था। शिकायत में आरोप लगाया गया कि आरोपी ने पीड़िता को शादी का प्रस्ताव दिया और उनके बीच 9-10 बार शारीरिक संबंध स्थापित हुए। जब उनके बीच विवाद हुआ और कुंदन ने शादी करने से इनकार कर दिया तो 17 जलाई, 2025 को उसने कथित तौर पर धमकी देकर फिर से संबंध बनाए और बाद में विवाह करने से इनकार कर दिया। इसके बाद पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराई।
सुनवाई के दौरान कुंदन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता लुबेश मेश्राम ने कोर्ट को बताया कि पीड़िता ने सत्र न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर लिखित में बयान दिया है कि उसकी आवेदक के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है। पीड़िता ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि वह आवेदक के साथ दोस्ती रखती है और उनके बीच कोई यौन संबंध नहीं थे।
पीड़िता ने दावा किया कि उसने अपने माता-पिता के दबाव के कारण पुलिस के सामने झूठा बयान दिया था। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 183 के तहत दिए गए एक अन्य बयान में उसने कहा कि उनमें प्रेम संबंध था और उन्होंने बालिग होने के बाद शादी करने का फैसला किया था। उसने यह भी कहा कि वह आवेदक के खिलाफ आगे की कार्रवाई नहीं चाहती है।
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सहायक सरकारी वकील ए. घोगरे ने जमानत का विरोध किया लेकिन उन्होंने पीड़िता के उस बयान को भी कोर्ट के सामने रखा जिसमें उसने शिकायत को माता-पिता के कहने पर दर्ज की गई झूठी शिकायत बताया था। कोर्ट ने पीड़िता के इस बयान पर विचार किया कि उनके बीच प्रेम संबंध था और उसने आवेदक के खिलाफ शिकायत करने के लिए दबाव महसूस किया था। कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि आवेदक को अग्रिम जमानत देकर सुरक्षा प्रदान करने का एक मामला बनता है।