एम्स के बाहर विरोध प्रदर्शन (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur News: इन दिनों जहरीली सिरप से मौत का मामला गरमाया हुआ है। हालांकि सभी बच्चे मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा के थे लेकिन इसके बाद प्रशासन ने कुछ दवाइयों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस बीच एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में डॉक्टरों के हस्ताक्षर या सील के बिना पर्ची पर दवाइयां लिखने का मामला सामने आया। इस तरह की पर्ची पर मरीजों को 10 से 50 हजार रुपये तक की दवाइयां लिखकर दी जा रही हैं।
यानी ये दवाइयां पूरी से बेहिसाबी हैं। पर्ची पर डॉक्टर का नाम और हस्ताक्षर नहीं होने से मेडिकल स्टोर्स में बिल भी नहीं बन रहा है। पिछले दिनों एक युवक को सर्पदंश के बाद एम्स में भर्ती कराया गया। उस समय एम्स में एंटी वेनम इंजेक्शन उपलब्ध नहीं था। बाद में परिजन बाहर से खरीदकर लाए। उपचार में देरी के कारण युवक की मौत हो गई।
अब भी कई मरीजों को दवाइयां नहीं मिलतीं। डॉक्टर सामान्य कागज के टुकड़े पर दवाइयां लिखकर देते हैं। देश के नामी संस्थान में इस तरह की लापरवाही के खिलाफ जनता फाउंडेशन की ओर से आंदोलन भी किया गया। जीशान सिद्दीकी ने इसकी शिकायत वैद्यकीय अधीक्षक से की।
एम्स में चल रही गड़बड़ी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद गुरुवार को प्रभारी संचालक ने सभी विभाग प्रमुखों की बैठक बुलाई। बैठक में मरीजों को दवाई उसी पर्ची पर लिखकर देने के निर्देश दिये गये जिस पर स्टाम्प लगा हो और संबंधित डॉक्टर के हस्ताक्षर हों।
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जानकार बताते हैं कि एम्स में यह सिलसिला पिछले अनेक दिनों से शुरू था। यदि जनता फाउंडेशन द्वारा आंदोलन नहीं किया जाता तो एम्स प्रशासन की नींद नहीं खुलती। हालांकि बिना हस्ताक्षर या सील वाली प्रिस्क्रिप्शन किन डॉक्टरों द्वारा दिया गया, इस संबंध में जांच की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई।