3 साल से कैद 2 मासूमों का किया रेस्क्यू (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur News: 3 वर्षों से अपने ही घर की चारदीवारी में कैद और स्कूल से दूर रहे 2 मासूम बच्चों को आखिरकार अंधेरे से मुक्ति मिल गई। बाल संरक्षण दस्ते और ग्रामीण मुक्ति ट्रस्ट के समन्वित प्रयास से यह संवेदनशील रेस्क्यू ऑपरेशन पुलिस की मदद से सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। इन बच्चों ने पिछले 3 वर्षों से सूरज की रोशनी तक नहीं देखी थी।
20 अगस्त को ग्राम बाल संरक्षण समिति की बैठक में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि गांव के 2 बच्चे पिछले 3 सालों से स्कूल नहीं जा रहे और कभी आंगन में भी दिखाई नहीं देते। पड़ोसियों ने भी बताया कि उन्होंने बच्चों को वर्षों से बाहर नहीं देखा। स्थिति की गंभीरता देखते हुए मामला 21 अगस्त को 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन पर दर्ज कराया गया और जिला बाल संरक्षण अधिकारी मुस्ताक पठान को इसकी जानकारी दी गई।
पठान ने इसे संवेदनशील मामला मानते हुए जिला महिला व बाल विकास अधिकारी सुनील मेसरे को अवगत कराया। तत्पश्चात बाल कल्याण समिति और पुलिस की मौजूदगी में 22 अगस्त को रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर समिति ने तुरंत घर जाकर स्थिति का जायजा लिया तो पाया कि बच्चों की मां मानसिक रूप से अस्वस्थ है और उसने दोनों बच्चों को घर में ही बंद कर रखा है।
दोनों बच्चों की उम्र 6 और 7 वर्ष है। दोनों भाई हैं। रेस्क्यू के बाद दोनों भाई थोड़े विचलित नजर आए, इसलिए उन्हें मनोवैज्ञानिक परामर्श के लिए शासकीय बाल गृह में दाखिल किया गया। वहीं उनकी मां को उपचार हेतु अस्पताल भेजा गया और परिवार को समुपदेशन की प्रक्रिया से जोड़ा गया। आगे बच्चों के रिश्तेदारों व परिजनों की गृह-जांच भी की जाएगी।
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इस रेस्क्यू अभियान में चाइल्ड प्रतिनिधि मीनाक्षी धडाडे, ग्रामीण समस्या मुक्ति ट्रस्ट की को-ऑर्डिनेटर शायना शेख, अश्विनी चौरे, सामाजिक कार्यकर्ता वर्षा पाटिल, न्यू विजन फाउंडेशन की अध्यक्ष प्रियंका होटे, वाड़ी पुलिस स्टेशन के अधिकारी तथा ग्राम बाल संरक्षण समिति के सभी पदाधिकारियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस संयुक्त प्रयास ने 3 वर्षों से अंधेरे में कैद 2 मासूमों को उजाले और सुरक्षित जीवन की ओर वापस लौटा दिया।
यदि आपके आसपास किसी भी बच्चे के साथ अत्याचार, उपेक्षा या अमानवीय व्यवहार हो रहा है तो तुरंत 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन पर कॉल करें। तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
– मुस्ताक पठान, जिला बाल संरक्षण अधिकारी, नागपुर।