
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Vasai News In Hindi: तीन महीने पहले एक अवैध बिल्डिंग गिरने से 17 बेगुनाह लोगों की मौत हो गई थी। इस बिल्डिंग हादसे के मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है और अपराध शाखा यूनिट 3 ने इस घटना की जांच के दौरान गुरुवार आधी रात को वसई विरार मनपा के प्रभाग समिति (सी) के सहायक आयुक्त, गिलसन गोन्साल्विस को गिरफ्तार कर लिया है।
मनपा के एक अधिकारी की गिरफ्तारी से शहर में भारी हलचल मच गई है। विरार पूर्व के विजयनगर इलाके में स्थित रमाबाई अपार्टमेंट नामक 4 मंजिली इमारत 26 अगस्त 2025 को गिर गई, जिससे एक बड़ा हादसा हो गया।
इस हादसे में 17 लोगों की मौत हो गई। जबकि 9 लोग घायल हो गए। गणेश उत्सव के दौरान हुए इस हादसे ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया था। रमाबाई अपार्टमेंट एक 4 मंजिला अवैध इमारत थी। इसमें 50 फ्लैट थे। लेकिन कुछ ही सालों में यह इमारत जर्जर हो गई थी।
डेवलपर ने इमारत में रहने वालों को गुमराह करते हुए बताया था कि यह इमारत लीगल है। इस वजह से रहने वाले टैक्स दे रहे थे। इस हादसे के बाद पुलिस ने बिल्डर नितल साने और जमीन के मालिक समेत 5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस कमिश्नर निकेत कौशिक ने मामले की जांच अपराध शाखा यूनिट-3 को सौंप दी। अब तक पुलिस ने इस मामले में डेवलपर समेत पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें से चार को बेल मिल गई है, जबकि डेवलपर नितल साने (48) अभी भी जेल में है।
मामले की जांच करते हुए अपराध शाखा यूनिट 3 ने अब एक महीने पहले मनपा के प्रभाग समिति (सी) के सहायक आयुक्त गिलसन गोन्साल्विस के खिलाफ लापरवाही का आरोप लगाते हुए अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज किया था। उसके बाद से पूरी जांच चल रही थी।
अपराध शाखा के पुलिस निरीक्षक शाहूराज रनवारे ने बताया कि उन्हें गुरुवार को भी पूछताछ के लिए बुलाया था। लेकिन, आठ से दस घंटे की पूछताछ में संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अपराध शाखा की टीम ने आखिरकार गुरुवार आधी रात को सहायक आयुक्त गिलसन गोन्साल्विस को गिरफ्तार कर लिया। साथ ही बताया कि, शुक्रवार दोपहर उन्हें सेशन कोर्ट में पेश किया गया है। जहां से उन्हें 10 दिसंबर तक पुलिस कस्टडी में रखने का निर्देश दिया है।
अपराध शाखा की जांच में पता चला है कि सहायक आयुक्त गिलसन गोन्साल्विस ने मई 2025 में बिल्डिंग के जर्जर होने पर उसे नोटिस भेजा था। लेकिन उसके बाद बिल्डिंग खाली क्यों नहीं कराई गई और डेवलपर के खिलाफ उसी समय एमआरटीपी के तहत केस क्यों नहीं दर्ज किया गया? अगर बिल्डिंग उसी समय खाली करा ली गई होती, तो 17 जानें बच सकती थीं। हालांकि, इस मामले में गोन्साल्विस की लापरवाही पाए जाने के बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की है।
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अपराध शाखा यूनिट 3 ने इस पूरे मामले में सबूतों और बयानों के आधार पर कोर्ट में 4000 पेज की चार्जशीट दाखिल की है। वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर शाहूराज रनवारे ने कहा कि इस मामले में मनपा के दूसरे अधिकारियों की भी जांच चल रही है और अगर वे दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा।






