उद्धव ठाकरे (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Uddhav Thackeray interview on Saamana: शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपनी समाचार पत्रिका पर संजय राउत को एक इंटरव्यू दिया है। इस इंटरव्यू में उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र से लेकर केंद्र सरकार तक के कई मुद्दों पर बात की है। उन्होंने महाराष्ट्र में शिवसेना यूबीटी के वर्चस्व के साथ-साथ राज्य में मराठी अस्मिता को लेकर उनकी लड़ाई पर भी बात की। साथ ही महाराष्ट्र में चर्चित नाम ठाकरे ब्रांड के अर्थ को भी स्पष्ट किया।
ठाकरे ब्रांड के नाम पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि ठाकरे ब्रांड में ‘ब्रांड’ शब्द काफी इंट्रस्टिंग है। दुनिया में बड़े-बड़े बिजनेस है। ये ब्रांड आते-जाते रहते है और एक-दूसके को खत्म करने के लिए संघर्ष करते रहते हैं। लेकिन ये ठाकरे ब्रांड 50 साल से भी ज्यादा हो गए अभी भी डटकर खड़ा है।
उद्धव ठाकरे ने ठाकरे ब्रांड का अर्थ बताते हुए कहा कि यह सिर्फ एक ब्रांड नहीं है। यह ब्रांड महाराष्ट्र की, मराठी माणुस की, हिंदू अस्मिता की पहचान है। कुछ लोगों ने इस पहचान को मिटाने की कोशिश की थी। लेकिन जो इसे मिटाना चाहते थे, वे खुद ही मिट गए। कई लोग आए, कई लोग चले गए। जनता ने ही उन्हें ही मिटा दिया।
ठाकरे ब्रांड में ऐसी क्या खासियत है कि आपकी तीसरी पीढ़ी इसी ब्रांड के साथ सामाजिक कार्यों और राजनीति में सक्रिय है यह पूछे जाने पर उद्धव ठाकरे ने जवाब दिया कि वे हमसे सीधे मिलते है। लोगों को पता है कि ये प्रामाणिक है और जनता के लिए काम करती है, इसलिए जनता हमारे साथ खड़ी रहती है।
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उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम यह कैसे कह सकते हैं, आज मेरे पास जनता को देने के लिए कुछ नहीं है। फिर भी, मैं जहां भी जाता हूं, लोग प्यार और स्नेह से मेरा स्वागत करते हैं। वे मुझसे बात करने आते हैं। जो कुछ भी चल रहा होता है, उस पर अपना गुस्सा और तकलीफ ज़ाहिर करते हैं। अगर कुछ होता है, तो वे कहते हैं, हम आपके साथ हैं। यही वजह है कि लोग आज भी इस ब्रांड के साथ सक्रिय है।
दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक कई लोग इस ब्रांड को मिटाने में लग गए हैं इस पर उद्धव ठाकरे ने जवाब दिया। उद्धव ठाकरे ने कहा हां, यह सच है। ठाकरे ब्रांड को मिटाने के लिए कई बैंड बज रहे हैं। क्योंकि उन्हें देश में अपने नाम के अलावा कोई और नाम स्वीकार नहीं है। वे अपनी तुलना भगवान से करने लगे हैं। चाहे कोई भी हो। ऐसे लोगों के बारे में क्या कहें? वे समय के प्रवाह में आते हैं और समय के प्रवाह में चले जाते हैं। हमे मिटाने वाले खुद ही मिटते चले गए।