कल्याण की सड़कों पर भड़का तनाव (सौजन्यः सोशल मीडिया)
मुंबई: रविवार दोपहर जब कल्याण-शाहाड मार्ग पर ऑन-ड्यूटी यातायात पुलिसकर्मी सचिन ओंबासे ने बाइक सवार मयूर केणे को कथित गलत दिशा में वाहन चलाने पर रोका। शुरू में सामान्य दिख रहा यह संवाद कुछ ही क्षणों में हाथापाई में बदल गया। राहगीरों ने बताया कि दोपहर करीब 12 बजे भीड़-भाड़ और धीमी गति के बीच, जब सचिन ओंबासे ने मयूर केणे को रोकने का इशारा किया, तो बाइक सवार ने प्रतिक्रिया स्वरूप अभद्र शब्दों का प्रयोग कर पुलिसकर्मी का कॉलर पकड़ लिया। कुछ ही सेकंड में विवाद बढ़ गया। करीब 30 मिनट तक यह झड़प चली ।
स्थानीय लोग, जो जाम के कारण खुद भी परेशान थे, बीच-बचाव को आगे आए, लेकिन तनाव तब तक चरम पर पहुँच चुका था। एक चश्मदीद ने कहा, “लेकिन जैसे ही कॉलर पकड़ा गया, दोनों तरफ उग्रता दिखी। लोग झुंड में इकट्ठा हो गए, कुछ ने फ़ोन से वीडियो बनाया, कुछ ने समझाने की कोशिश की, लेकिन कुछ पल बाद झड़प नियंत्रण से बाहर लग रही थी।” मोबाइल फुटेज में साफ दिखता है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे से भिड़ते हुए पीछे की ओर धकेल रहे हैं।
महात्मा फुले थाना में बाइक सवार के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है। थाना अधिकारी चश्मदीदों के बयानों, मोबाइल वीडियो और आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा में जुटे हैं। वे इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि वास्तव में दिशा-नियम का उल्लंघन हुआ था या संचार में कोई भ्रांति ने विवाद को हवा दी। अधिकारी कहते हैं कि वर्दी का कॉलर पकड़ने और अभद्र भाषा के आरोप वीडियो व बयानों से जाँचे जाएंगे।
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यह पहली बार नहीं जब इस मार्ग की भीड़-भाड़ और अस्पष्ट संकेत व्यवस्था पर सवाल उठे हों। निवासियों ने पहले भी कहा था कि लेन विभाजन अस्पष्ट हैं, चेतावनी बोर्ड कम और मध्यस्थता तंत्र अनुपस्थिति में छोटी टकराहट बड़ी घटना बन सकती है। यह वाकया उन पुरानी शिकायतों को फिर से ताज़ा करता है। “जब जाम और गर्मी एक साथ हों, तो लोग अधिक संवेदनशील हो जाते हैं,” एक राहगीर ने कहा। “ऐसे माहौल में मामूली विवाद भी हाथापाई तक पहुँच सकता है।”
पुलिस-प्रशासन स्तर पर विचार हो रहा है कि इस मार्ग पर स्पष्ट दिशा-निर्देशीय बोर्ड, लेन विभाजन चिन्ह और गति नियंत्रक यंत्र लगाए जाएँ। साथ ही, भीड़-भाड़ के पिक आवर्स में विशेष मध्यस्थता दल या ‘शांति एस्कॉर्ट’ तैनात करने पर चर्चा है, जो छोटी-झड़प न होते देख तुरंत स्थिति शांत कर सके। स्थानीय नागरिक संवाद मंच के माध्यम से सुझाव भी जुटाए जा रहे हैं, ताकि नियमावलियों का पालन सहज हो और तनाव कम रहे।
यदि मामूली विवाद इतनी आसानी से हाथापाई में बदल सकता है, तो यह संकेत है कि सार्वजनिक मार्गों पर नियम-पालन के साथ-साथ आपात प्रतिक्रिया व्यवस्था भी मज़बूत होनी चाहिए। प्राथमिक चिकित्सा आपात किट, अतिरिक्त पुलिस दल की तत्परता और बेहतर मोबाइल या डिजिटल अलर्ट सिस्टम से ही ऐसी घटनाओं को त्वरित खत्म किया जा सकता है।