मुंबई न्यूज
Mumbai News In Hindi: घाटकोपर में नवनिर्माण के लिए तोड़े गए हरिलाल जयचंद दोशी हिंदू सभा अस्पताल के प्रबंधन (मैनेजमेंट) के खिलाफ बदली (अस्थायी) ठेका कामगारों और नसों ने कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर ली है।
प्रबंधन ने चुनिंदा मजदूरों का बकाया मानदेय देना शुरू कर दिया है, लेकिन बदली कामगारों पर कोई फैसला नहीं लिया जा रहा है। जिससे नाराज 9 अस्थायी कामगार कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
यही नहीं, 8 नर्सिंग स्टाफ ने भी वकील से सलाह-मशविरा शुरू कर दिया है। हालांकि, प्रबंधन का कहना है कि धीरे-धीरे सबका हिसाब कर दिया जाएगा, लेकिन जो लोग असंतुष्ट होकर कोर्ट जाएंगे, उनका हिसाब-किताब कोर्ट में जमा कर दिया जाएगा।
पीड़ितों के सलाहकार वकील एडवोकेट वेद तिवारी ने बताया है कि हमने सबसे वकालतनामा ले लिया है और हम प्रबंधन ट्रस्टी को नोटिस भेज रहे हैं। बता दे कि 2022 में जर्जर बताकर बंद किए गए हिंदू सभा अस्पताल को 2023 में तोड़ दिया गया। 184 बेड वाला अस्पताल बंद कर दिए जाने से लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
तकरीबन 500 कर्मचारियों को बकाया मानदेय मिलने में देरी हो रही है, तो आसपास कोई बड़ा अस्पताल न होने से आम लोगों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। अस्पताल में कार्यरत नसों रोशनी गुप्ता, काजल गायकवाड़, शिवानी गौरव, दीपाली तांबिडकर, मेघा धनवाड़े, प्रदन्या जंगम, अमृता सुर्वे और सुमित्रा वामन ने हिंदू सभा प्रबंधन को पत्र लिखकर अपना बकाया मानदेय देने की गुजारिश भी की है।
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इन लोगों का कहना है कि हमने कोविड काल में दिन-रात अस्पताल के मरीजों की सेवा की, अस्पताल से जुड़े रहे। हम लोगों को बाद में स्टाफर का लेटर भी दिया गया, उसके कुछ महीनों बाद इस अस्पताल को बंद कर दिया गया। हमें बताया गया कि मेडिकल रजिस्ट्रेशन देरी से हुआ है, इसलिए हम परमानेंट नहीं कर सकते हैं। जबकि उस समय के मेडिकल डायरेक्टर डॉ। वैभव देवगिरिकर ने हमें आश्वासन दिया था कि आप लोगों को भी मानदेय मिलेगा।