कार्तिक माह में भूलकर भी न करें ये काम (सौ.सोशल मीडिया)
Kartik Maas ke Rules: सनातन धर्म में कार्तिक महीना को सबसे पवित्र एवं शुभ महीनों में जाना जाता है। जिसकी शुरुआत आज यानी 8 अक्टूबर, बुधवार से हो गई है और 5 नवंबर 2025 तक चलेगी। यह महीना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें किए गए पुण्य कर्म, व्रत और पूजन से अक्षय फल मिलता है।
लेकिन शास्त्रों में कहा गया है कि यदि इस पवित्र महीने में कुछ गलतियां कर दी जाएं, तो इसका उल्टा असर भी पड़ सकता है। ये गलतियां व्यक्ति के घर से सुख-समृद्धि छीन सकती हैं और दरिद्रता का कारण बन सकती है। ऐसे में आइए जानते हैं, कार्तिक मास में किन कार्यों को करने से बचना चाहिए।
कहा जाता है कि, कार्तिक मास में मांस, मछली, अंडा, शराब (मदिरा) और धूम्रपान का सेवन नहीं करना चाहिए। यह महीना सात्विक जीवन जीने और इंद्रियों पर संयम रखने का होता है।
आपको बता दें, इस महीने में प्याज और लहसुन जैसे तामसिक खाद्य पदार्थों से भी परहेज करना चाहिए। मान्यता है कि तामसिक भोजन करने से मन और शरीर की शुद्धता भंग होती है और पूजा का फल नहीं मिलता है।
ज्योतिषयों के अनुसार, कार्तिक महीने में तामसिक भोजन के अलावा पूरे महीने शरीर पर तेल लगाने से भी बचना चाहिए। हालांकि, कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (नरक चतुर्दशी) को शरीर पर तेल लगाना शुभ माना जाता है। इसलिए, इस एक दिन को छोड़कर पूरे महीने तेल लगाने से बचें।
कहा जाता है कि कार्तिक मास को संयम का महीना माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पवित्र महीने में बाल और नाखून नहीं काटने या कटवाने चाहिए। ऐसा करने से पूजा-पाठ का फल नहीं मिलता है और शुभता में कमी आती है।
इस माह में बिस्तर पर सोने की बजाय जमीन पर सोने का विधान बताया गया है। साथ ही, दोपहर में सोना भी अच्छा नहीं माना जाता है। इस महीने में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करने और अधिक से अधिक समय पूजा-पाठ, जप और ध्यान में लगाने पर जोर दिया जाता है।
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इस महीने अपशब्दों का प्रयोग, झगड़ा, क्रोध और किसी की निंदा करने से बचना चाहिए। मन को शांत और पवित्र रखना बहुत जरूरी है। इस समय परोपकार और स्त्री-गुरु का आदर करना बहुत ही शुभ फलदायक माना गया है।