बॉम्बे हाई कोर्ट (सौ. सोशल मीडिया )
Mumbai News In Hindi: राज्य में हाई कोर्ट सहित विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों का बोड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है, चढ़ते इस बोझ की वजह से आम नागरिकों को समय पर न्याय मिलना मुश्किल साबित हो रहा है।
ताजा आंकड़ों के अनुसार राज्य में अब तक कुल 57,36,511 मामले लंबित है जिनमें दीवानी (सिविल) के 17,18।059। मामले हैं और फौजदारी (क्रिमिनल) के 40,18,452 मामलें हैं। यह आंकडा वर्ष 2022 में 51,79.000 के आसपास था जिसमें अब 5,57,511 मामलों की भारी वृद्धि दर्ज की गई है। इनमें से कई मामलों की सुनवाई 10 से 30 वर्षों तक अटकी पड़ी है। विभिन्न कारणों से न्याय व्यवस्था पर मामलों का भारी बोझ पड़ा है जिसके चलते आम पक्षकारों को न्याय पाने के लिए वर्षों तक अदालतों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
‘नेशनल जुडिशियल डेटा ग्रिड’ के आंकड़ों के अनुसार, नागरिक मामलों की तुलना में लंबित फौजदारी मामलों की संख्या दोगुने से भी अधिक है। समय पर न्याय की उम्मीद में राज्य के कोने-कोने से लोग बड़ी संख्या में उच्च न्यायालय में पहुंचते हैं। मगर विभिन्न कारणों से ज्यादातर बार ‘तारीख पर तारीख’ का सिलसिला चलता रहता है और ग्रामीण इलाकों से आए लोगों को निराश होकर लौटना पड़ता है। निचली अदालतों में भी न्याय पाने की जद्दोजहद कम नहीं है। इसी पृष्ठभूमि में आम पक्षकारों की ओर से यह मांग की जा रही है कि न्यायव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार ठोस कदम उठाए।
बॉम्बे हाई कोर्ट के एडवोकेट प्रकाश सालसिंगिकर कई निचली ८८ मामले लंबित होने के कई कारण है। अदालतों में इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, बिजली नहीं रहती है जिससे मजबूरन तारीख आगे बढ़ाना पड़ता है। कनेक्टिविटी नहीं रहती है। कई मामलों में गवाह नहीं आते है और वकील भी बहाना बनाते है। इंफ्रास्ट्रक्चर में त्वरित सुधार करना आवश्यक है।
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मुंबई हाई कोर्ट में मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मगर उस अनुपात में न्यायमूर्तियों की पर्याप्त संख्या नहीं है। न्यायमूर्तियों के रिक्त पदों की भर्ती की प्रक्रिया लंबी और समयसाध्य है जिसमें कम से कम 3 वर्ष लग जाते हैं। इस दौरान लंबित मामले बढ़ जाते हैं। उच्च न्यायालय में शीघ्रता से रिक्त पदों पर न्यायमूर्तियों की नियुक्ति होनी चाहिए।