
Cyber Fraud (Source. AI)
Cyber Fraud India: साइबर ठगी, फेक कॉल्स और WhatsApp पर बढ़ते स्कैम से परेशान मोबाइल यूजर्स के लिए राहत भरी खबर है। भारत सरकार नए साल यानी 2026 में टेलीकॉम सेक्टर से जुड़े दो बड़े और सख्त नियम लागू करने की तैयारी में है, जो मोबाइल इस्तेमाल करने के तरीके को काफी हद तक बदल सकते हैं। इन नियमों के लागू होते ही न सिर्फ फेक कॉल्स की पहचान आसान हो जाएगी, बल्कि मैसेजिंग ऐप्स के जरिए होने वाली धोखाधड़ी पर भी कड़ा शिकंजा कसेगा। माना जा रहा है कि इन बदलावों से आम लोगों का मोबाइल पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा।
देश में हर दिन तेजी से बढ़ रहे साइबर फ्रॉड और ऑनलाइन स्कैम को रोकने के लिए सरकार अब तक का सबसे बड़ा कदम उठाने जा रही है। साल 2026 में SIM-Binding और CNAP (Calling Name Presentation) जैसे नियम लागू होने की पूरी संभावना है। इन नियमों के बाद यूजर्स के कॉल रिसीव करने और WhatsApp जैसे मैसेजिंग ऐप्स इस्तेमाल करने का तरीका पूरी तरह बदल जाएगा।
अक्सर स्कैमर्स खुद को बैंक अधिकारी या सरकारी कर्मचारी बताकर लोगों को जाल में फंसाते हैं। CNAP इसी समस्या का समाधान करेगा। यह फीचर पूरी तरह लागू होने के बाद जब भी किसी अनजान नंबर से कॉल आएगी, तो मोबाइल स्क्रीन पर उस व्यक्ति का नाम दिखाई देगा जो उसके KYC में दर्ज है।
खास बात यह है कि यह फीचर नेटवर्क लेवल पर काम करेगा, यानी इसके लिए किसी थर्ड-पार्टी ऐप की जरूरत नहीं होगी। फिलहाल इसे कुछ क्षेत्रों में ट्रायल के तौर पर शुरू किया जा चुका है और उम्मीद है कि 2026 की शुरुआत तक यह पूरे देश में अनिवार्य हो जाएगा।
सरकार का दूसरा बड़ा कदम SIM-Binding से जुड़ा है। साइबर अपराधी अक्सर भारतीय सिम कार्ड से WhatsApp या दूसरे मैसेजिंग ऐप्स पर अकाउंट बनाकर सिम फेंक देते हैं। नए नियम के मुताबिक अगर आपके फोन में वह फिजिकल सिम मौजूद नहीं है, जिससे ऐप बनाया गया है, तो वह ऐप काम करना बंद कर देगा।
इससे विदेशों में बैठकर भारतीय नंबरों का गलत इस्तेमाल करने वाले अपराधियों को पकड़ना आसान हो जाएगा। दूरसंचार विभाग ने कंपनियों को इसके लिए 90 दिनों की समय-सीमा दी है, जिसे 2026 तक पूरी तरह लागू किया जाएगा।
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भारत में हर साल करोड़ों रुपये की डिजिटल ठगी हो रही है। RBI, NPCI और TRAI मिलकर एक मजबूत सुरक्षा ढांचा तैयार कर रही हैं, ताकि आम आदमी की मेहनत की कमाई साइबर फ्रॉड से बचाई जा सके। UPI मनी रिक्वेस्ट फीचर में बदलाव और डिजिटल कंसेंट मैनेजमेंट सिस्टम भी इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं।






