18 से डॉक्टर हड़ताल पर (pic credit; social media)
Mumbai News In Hindi: महाराष्ट्र में बुधवार को स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गई। वजह थी राज्य सरकार के उस फैसले के खिलाफ एलोपैथिक डॉक्टरों का महा आंदोलन, जिसमें होम्योपैथी डॉक्टरों को एलोपैथिक काउंसिल में पंजीकरण की अनुमति दी गई है।
इस फैसले के विरोध में राज्यभर के 1.80 लाख से ज्यादा एलोपैथिक डॉक्टरों ने एक दिन को सांकेतिक हड़ताल की। इससे मुंबई समेत पूरे राज्य में 60-70 फीसदी स्वास्थ्य सेवाएं बाधित रहीं। मुंबई में इस आंदोलन का मिला-जुला असर देखने को मिला। जेजे अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी असर दिखा, जबकि कुछ बड़े सरकारी और मनपा अस्पतालों में ओपीडी और जांच सेवाएं आंशिक रूप से चालू रहीं। कई मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों से लौटना पड़ा, वहीं इमरजेंसी सेवाएं चालू रहने से गंभीर मरीजों को राहत मिली।
निजी अस्पतालों की ओपीडी, सर्जरी और नियमित जांच सेवाएं पूरी तरह बंद रहीं, जबकि सरकारी अस्पतालों में भी बड़ा असर दिखा। हालांकि, आपातकालीन सेवाएं मार्ड की ओर से चालू रखी गई, ताकि मरीजों को वैकल्पिक राहत मिल सके। डॉक्टरों ने मरीजों को हुई परेशानी पर खेद जताया।
डॉक्टरों ने सरकार के फैसले को सीधे-सीधे मरीजों की जान से खिलवाड़ बताया, उनका कहना है कि होम्योपैथी या अन्य पद्धति से प्रशिक्षित डॉक्टरों को एलोपैथी का अधिकार देना खतरनाक है। हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों ने कहा कि एक एलोपैथी डॉक्टर बनने के लिए पहले नीट पास करना होता है, उसके बाद साढ़े चार साल की MBBS डिग्री, और फिर तीन साल की मास्टर्स डिग्री (MD या MS) करनी होती है। साथ ही सरकारी अस्पतालो में लबी इंटर्नशिप भी करनी पड़ती है। इसके विपरीत, सरकार होम्योपैथिक डॉक्टरों को सिर्फ छह महीने का एक शॉर्ट टर्म कोर्स करवाकर एलोपैथिक दवाएं लिखने की अनुमति दे रही है, जो उनके अनुसार पूरी तरह गलत है।
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आईएमए प्रदेश अध्यक्ष डॉ। संतोष कदम ने कहा है कि हमारी एक ही मांग है मिक्सोपेश्री बंद होनी चाहिए, होम्योपैथी, आयुर्वेद और डेटल डॉक्टर अपने-अपने काउंसिल में रहे, एलोपैथिक काउंसिल में में किसी की घुसपैठ बर्दाश्त नहीं होगी। यह साइंटिफिक मेडिकल साइंस की संरचना है, जिसे हम डिस्टर्व नहीं होने देंगे।