पुलिस ने आंदोलकारियों से खाली कराई सड़कें (pic credit; social media)
Maharashtra News: मराठा आरक्षण की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन ने मंगलवार को मुंबई में तनाव बढ़ा दिया। बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोपहर 3 बजे तक सड़कों से प्रदर्शनकारियों को हटाने का आदेश दिया था। समय-सीमा पूरी होते ही मुंबई पुलिस और रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने एक्शन शुरू किया और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) रेलवे स्टेशन सहित कई स्थानों से आंदोलनकारियों को हटाया। इससे यात्रियों को राहत मिली।
प्रदर्शनकारियों ने कई दिनों से सीएसएमटी प्लेटफॉर्म पर डेरा डाल रखा था। वे यहीं पर रहते, खाते और सोते थे। कई बार वे ट्रेनों के सामने आ जाते थे, जिससे यातायात प्रभावित हो रहा था और ट्रेनों में लगातार देरी हो रही थी। दूसरी ओर, मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने बीएमसी मुख्यालय के पास अवैध रूप से खड़े वाहनों को हटाने की कार्रवाई की। हालांकि इस दौरान पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
संभावित अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए। रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ), राज्य रिजर्व पुलिस बल और स्थानीय पुलिस की टुकड़ियां तैनात की गईं। आंसू गैस की गाड़ियां भी तैयार रखी गईं। जॉइंट पुलिस कमिश्नर (कानून व्यवस्था) सत्यनारायण चौधरी, डीसीपी नवनाथ धवले और निमित गौथल जैसे वरिष्ठ अधिकारी खुद सड़कों पर उतरकर प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील करते नजर आए।
मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने लाउडस्पीकर से प्रदर्शनकारियों को सड़क खाली करने की चेतावनी दी, लेकिन आंदोलनकारी अपनी मांगों पर अड़े रहे। कई जगह पुलिस और प्रदर्शनकारियों में कहासुनी भी हुई।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यदि वाहन हटाए गए तो उनके भोजन और व्यवस्था का जिम्मा कौन लेगा। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए नारेबाजी की—”सरकार हमसे डरती है”, “पुलिस को आगे बढ़ा रही है”।
बीएमसी मुख्यालय और सीएसएमटी के बाहर खड़े वाहनों को हटाने में पुलिस को काफी मेहनत करनी पड़ी। अधिकारियों की लगातार अपील के बाद धीरे-धीरे कुछ वाहन हटे, लेकिन आंदोलनकारियों का उत्साह और उनकी मांगें अब भी बरकरार हैं।