मनोज जरांगे (Pic credit; social media)
Maharashtra News: मराठा आरक्षण को लेकर जारी आंदोलन में हालात लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं। शरद पवार ने हाल ही में मराठा आरक्षण पर टिप्पणी करते हुए कहा कि तमिलनाडु में आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 72% कर दी गई है और यह मॉडल महाराष्ट्र में भी अपनाया जा सकता है। इस बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने मनोज जरांगे के आंदोलन के लिए उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंद को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की।
उपमुख्यमंत्री शिंद ने कहा कि बीते वर्षों में आरक्षण संबंधी कई फैसले लिए गए हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि शरद पवार, जो एक वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं, इतने वर्षों तक इस मुद्दे पर क्यों चुप रहे। उन्होंने स्पष्ट किया कि पहले दिए गए आरक्षण को उच्चतम न्यायालय में बरकरार रखने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी, जबकि पहले इसे हाईकोर्ट में सुरक्षित रखा गया था।
इस आंदोलन के कारण मुंबई में आम लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है। अनशन और प्रदर्शन के बीच शहर का माहौल तनावपूर्ण है और हजारों आंदोलनकारी कभी भी भड़क सकते हैं। कैबिनेट मंत्री नितेश राणे ने कहा कि मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण देना संविधान के दायरे में संभव नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि हिंदुओं में फूट डालने का प्रयास हो रहा है और इसे किसी भी सियासी समूह को अवसर नहीं बनने दिया जाएगा।
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उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि पहले पनीबीसी और ईडब्ल्यूएस कोटे में आरक्षण दिया गया था, लेकिन जरांगे इसे स्वीकार नहीं कर रहे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने मंत्रिमंडलीय उप-समिति बनाने में समय गंवाया और आंदोलन को रोकने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए।
इस बीच, मनोज जरांगे ने राज ठाकरे को “सम्मान के भूखा” करार दिया और नितेश राणे तथा चंद्रकांत पाटिल को अपशब्द कह डाले। उनके तीखे बयानों ने आंदोलन में और उबाल पैदा कर दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि आंदोलनकारियों के मुंबई आने की जिम्मेदारी सरकार की है और राज्य के नेता इस स्थिति का राजनीतिक लाभ लेने से बाज नहीं आ रहे।
मराठा आरक्षण को लेकर जारी यह विवाद अब शहर और राजनीतिक परिदृश्य दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।