देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Maharashtra Politics: स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव से पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अपने मंत्रीमंडल के कई मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों और विवादित बयानों के कारण फंसे मंत्रियों को मुख्यमंत्री बहार करने की तैयारी कर रहे हैं, ऐसी चर्चा चल रही है। नई सरकार बनने के बाद छह महीने से अधिक का समय बीत चुका है, इस दौरान कई मंत्री विवादों में घिरे हैं, जिनमें शिवसेना के नेताओं की संख्या सबसे अधिक है।
विधानसभा के सत्र के दौरान शिवसेना के विधायक संजय गायकवाड़ ने कैंटीन में एक कर्मचारी के साथ मारपीट की। इसके बाद सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट का एक वीडियो सामने आया जिसमें वह बेडरूम में सिगरेट पीते दिखे और उनके पास पैसे से भरी एक बैग भी थी। शिरसाट ने खुद बताया कि उन्हें इनकम टैक्स विभाग से नोटिस मिला है। गृह राज्य मंत्री योगेश कदम का मामला।
वहीं, NCP के माणिकराव कोकाटे लगातार विवादित बयान देते रहे हैं। विधान परिषद के कामकाज के दौरान उनका रमी खेलते हुए वीडियो भी सामने आया। भाजपा के विधायक गोपीचंद पडलकर ने बिना पास के गंभीर अपराधियों को सीधे विधानसभा में लाया। उन्होंने NCP के विधायक जितेंद्र आव्हाड के करीबी नितीश देशमुख को भी मारा। इन सभी विवादों के कारण महायुति सरकार की छवि खराब हुई है और स्थानीय निकाय चुनावों में इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
मुख्यमंत्री फडणवीस कुछ नाकाम और विवादित मंत्रियों को घर का रास्ता दिखा सकते हैं। इसमें शिवसेना के मंत्री संजय शिरसाट, संजय राठोड, भरत गोगावले और योगेश कदम का नाम शामिल हो सकता है। इनके अलावा NCP के माणिकराव कोकाटे और नरहरी झिरवल का भी मंत्री पद खतरे में है। खास बात यह है कि भाजपा के संकटमोचक और मुख्यमंत्री के बेहद करीबी मंत्री गिरीश महाजन को भी इस्तीफा देना पड़ सकता है। जलसंपदा मंत्री महाजन को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है, लेकिन उनके लिए मंत्री पद छोड़ना जरूरी हो सकता है।
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विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को मंत्री पद का अवसर दिया जा सकता है। नार्वेकर मंत्री पद पर काम करने के लिए उत्सुक हैं, इसलिए उनकी नियुक्ति मंत्रिमंडल में हो सकती है। उनकी जगह विधानसभा अध्यक्ष पद पर सुधीर मुनगंटीवार को मौका मिल सकता है। पिछले दो सत्रों से मुनगंटीवार काफी आक्रामक भूमिका निभा रहे हैं और विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेर रहे हैं।
फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में उन्हें मंत्री पद नहीं मिला था। तब से मुनगंटीवार ने विधानसभा में कई बार सरकार को चुनौती दी है और विपक्ष के नेता के तौर पर प्रभावशाली प्रदर्शन किया है।