JNU में देवेंद्र फडणवीस (सौजन्य-एक्स)
Devendra Fadnavis at JNU: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि कोई भी भाषा झगडे की जड़ नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में मराठी बोलने का आग्रह करना स्वाभाविक है। लेकिन भाषा के नाम पर विवाद या किसी के साथ जबरदस्ती मारपीट करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। महाराष्ट्र में अगर कोई भी भाषा के नाम पर जोर जबरदस्ती करेगा तो हम कार्रवाई करेंगे।
मुख्यमंत्री, गुरुवार को नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में मराठी भाषा विभाग में कवि कुसुमाग्रज मराठी शोध केंद्र का उद्घाटन एवं छत्रपति शिवाजी महाराज सामरिक एवं संरक्षण शोध केंद्र का शिलान्यास करने पहुंचे थे। इस मौके पर वे पत्रकारों से बात कर रहे थे। फडणवीस ने कहा कि मराठी भाषा को सांस्कृतिक भाषा का दर्जा प्राप्त होने के बाद जेएनयू में मराठी शोध केंद्र की शुरुआत होना गर्व की बात है।
उन्होंने कहा कि भाषा संवाद का माध्यम है। इसे विवाद का विषय नहीं बनाना चाहिए। इस तरह मुख्यमंत्री ने एक बार मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे को बता दिया है कि भाषा के नाम पर महाराष्ट्र में मारपीट की घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।इस मौके पर कैबिनेट मंत्री उदय सामंत, जेएनयू की कुलपति प्रो. शांति धुलीपुड़ी पंडित, तंजावुर के छत्रपति बाबाजी राजे भोसले, सांसद एवं अन्य उपस्थित थे।
सीएम फडणवीस के दौरे पर स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के छात्रों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि महाराष्ट्र में जाते समय मराठी बोलने पर जबरदस्ती करना सही नहीं है। सीएम फडणवीस के सामने अलग-अलग प्रदर्शनकारियों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी और इसकी आलोचना की। कुछ प्रदर्शनकारियों ने देवेंद्र फडणवीस की आलोचना करते हुए कहा कि हिंदी सभी पर कैसे थोप सकते है? तो कुछ ने देवेंद्र फडणवीस का विरोध करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में गैर-मराठी लोगों को पीटे जाने की खबरों पर सरकार क्या कार्रवाई कर रही है? ये सवाल किया।
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सीएम ने सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय पर संतुष्टि जताई, जिसमें बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी गई है।जिसमें मुंबई में साल 2006 में हुए ट्रेन ब्लास्ट मामले के सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले के बाद हमारी सरकार ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।वहां से हमें सही निर्णय मिला है। हाई कोर्ट ने 7/11 बम धमाकों के 12 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। इन धमाकों में 180 से अधिक लोग मारे गए और 800 से ज्यादा घायल हुए थे।