
उद्धव ठाकरे-बच्चू कड़ू-देवेंद्र फडणवीस (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Farmers Prtotest in Maharashtra: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने किसानों को कर्जमाफी देने के लिए एक हाई लेवल समिति का गठन किया है। इस समिति की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद 30 जून, 2026 से पहले कर्जमाफी पर फैसला लिया जाएगा। इस बात की घोषणा सीएम फडणवीस ने की है।
सरकार की इस घोषणा पर पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने बिफरते हुए कहा कि कर्ज की वजह से पहले ही कई किसान आत्महत्या कर चुके हैं। ऐसे में अब और किसानों की आत्महत्या का इंतजार न करते हुए सरकार को तुरंत कर्जमाफी का ऐलान करना चाहिए। इसके लिए 6 महीने का इंतजार क्यों किया जा रहा है। यूबीटी अध्यक्ष ने कहा कि हाल के महीनों में बाढ़ व बारिश से किसानों की फसल तबाह हो गई है।
उन्हें तुरंत आर्थिक मदद की जरूरत है, लेकिन सरकार समिति के गठन और 6 महीने में रिपोर्ट आने की बात कहकर इस मुद्दे को टाल रही है। उद्धव ने कहा कि मैं हाथ जोड़कर सरकार से विनती करता हूं कि वह किसानों के हित में तुरंत कर्जमाफी की घोषणा करे। जब किसानों की दुर्दशा हमारे सामने है, तो समिति किस तरह का गहन अध्ययन करके अपनी रिपोर्ट देगी।
महायुति सरकार के वित्त मंत्री अजित पवार ने कहा कि किसानों के लिए कर्जमाफी तो होगी, लेकिन सभी के लिए नहीं। यह सुविधा सिर्फ छोटे किसानों के लिए होगी। हालांकि उन्होंने कहा कि हमने एक समिति गठित की है। जब वह अपनी रिपोर्ट देगी तो उसके बाद हम निर्णय लेंगे। निर्णय में किसानों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
प्रहार संगठन के नेता बच्चू कड़ू के आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने किसानों की कर्जमाफी के लिए मुख्यमंत्री के प्रधान आर्थिक सलाहकार और मित्रा के सीईओ प्रवीण परदेशी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया है, जो अप्रैल 2026 तक अपनी रिपोर्ट दे देगी।
जब किसानों की दुर्दशा हमारे सामने है, तो आपकी परदेशी समिति किस तरह का अध्ययन करके रिपोर्ट देगी। अगर अगले साल जून में सचमुच कर्जमाफी होने वाली है, तो क्या किसानों को मौजूदा कर्ज की किस्तें चुकानी चाहिए? क्या किसानों को बिना चुकाए रखी का कर्ज मिलेगा। अगर उन्हें नए कर्ज मिलेंगे, तो क्या वे भी माफ होंगे।
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किसान अन्य सहायता से पहले अपनी कटी हुई जमीन को फिर से पहले से बनाने के लिए मिट्टी की मांग रहे हैं, लेकिन सरकार इस बारे में कुछ करने को तैयार नहीं है। सरकार ने हजारों करोड़ के मुआवजे का ऐलान तो कर दिया। हालांकि बड़ा सवाल यह है कि किसानों के खातों में कितना पैसा जमा हुआ?
महाराष्ट्र में छह महीने से बारिश हो रही है। किसान पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं। कर्जमाफी के लिए इससे ज्यादा ‘सही समय’ और क्या हो सकता है। फिर भी सरकार का यह कहना है कि सही समय आने पर कर्जमाफी की जाएगी। यह किसानों के साथ एक क्रूर मजाक है। मराठवाडा, विदर्भ और उत्तरी महाराष्ट्र से लगातार किसानों की आत्महत्या की खबरें आ रही है।
क्या आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या सरकार के कानों तक नहीं पहुंचती है? इसके बावजूद सरकार ने अगले साल कर्जमाफी की समय सीमा जून तय कर दी है। यह उनके जख्मों पर नमक रगड़ने जैसा है। क्या सरकार अगले साल जून तक होने वाली किसान आत्महत्याओं की जिम्मेदारी लेगी?






