मुंबई : स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के निधन (Death) पर पूरा देश गमगीन है। सामाजिक (Social) और धार्मिक जगत (Religious World) के लोग भी उनके निधन से काफी दुखी हैं। श्री सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट (Shri Siddhivinayak Temple Trust) के संचालक आदेश बांदेकर (Adesh Bandekar) ने गहरा दुख व्यक्त किया है। अपनी संवेदना में उन्होंने कहा कि लता दीदी जैसा न कोई गायक रहा है और न रहेगा।
कई पीढ़ियों (Generations) तक वे लोगों के स्वरों में गुनगुनाती रहेंगी। उन्होंने कहा कि घर में, गाड़ी में और बाहर, जहां भी हम रहते हैं उनके गानों को गुनगुनाते रहते हैं। लता दीदी (Lata didi) अपनी सुरीली आवाज (Melodious Voice) के चलते कल भी हमारे साथ थीं, आज भी हैं और आगे भी रहेंगी। बांदेकर ने कहा कि 1999 में जब वे दूरदर्शन में एंकरिंग कर रहे थे, उन पलों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि उस दौरान स्टूडियो में कई गायक आए थे और मेरी एंकरिंग पर लता दीदी ने मेरे सिर पर हाथ रखकर मुझे आशीर्वाद दिया था। मैं उनके निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
मुंबा देवी मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधक हेमंत जाधव ने कहा कि लता दीदी के जाने से मुझे गहरा दुख हुआ है। उनके जाने से भारत के संगीत का एक युग समाप्त हो गया है। मेरी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि।
काशी सुमेरु पीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि लता मंगेशकर के निधन से देश की अपूरणीय क्षति हुई है। देश ने संगीत जगत का एक हीरा खो दिया है। महालक्ष्मी मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधक भालचंद्र वालावलकर ने कहा कि लता दीदी की वाणी में सरस्वती विराजमान थीं, तभी तो वे स्वर कोकिला कहलाईं।