मुंबई एन वार्ड कार्यालय (pic credit; social media)
Maharashtra News: मुंबई महानगरपालिका के घाटकोपर स्थित एन वार्ड कार्यालय में एक बड़ा खुलासा सामने आया है। चार मंजिला इमारत के टेरेस पर बने स्टोररूम को गैरकानूनी तरीके से ‘बिल्डिंग और फैक्ट्री (B/F) विभाग’ का दफ्तर बना दिया गया है। हैरानी की बात यह है कि इसी दफ्तर से अधिकारी अतिक्रमण पर कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करते हैं।
पहले यह हिस्सा केवल स्टोररूम था, लेकिन बाद में इसे पूरी तरह कार्यालय का रूप दे दिया गया। यहां अभियंता, सहायक अभियंता और जूनियर अभियंता सहित करीब 15 कर्मचारी बैठते हैं और एन वार्ड क्षेत्र में अवैध निर्माण और अतिक्रमण पर कार्रवाई की योजना बनाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब सरकारी विभाग खुद अतिक्रमण के दायरे में काम कर रहा है, तो इस पर कार्रवाई कौन करेगा।
इसी इमारत में जोन-6 के उपायुक्त का दफ्तर भी मौजूद है। सहायक आयुक्त गजानन बेलाले ने सफाई देते हुए कहा कि मौजूदा इमारत में जगह की कमी है, इसलिए अस्थायी व्यवस्था के तौर पर दफ्तर टेरेस पर चल रहा है। उन्होंने बताया कि जल्द ही कुछ दफ्तरों को घाटकोपर पश्चिम स्थित हीराचंद देसाई मार्केट में स्थानांतरित किया जाएगा।
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आरटीआई कार्यकर्ता मनोहर जरियाल ने जानकारी दी कि उन्होंने जब इस कार्यालय से संबंधित रिकॉर्ड मांगा तो विभाग ने स्वीकार किया कि टेरेस पर बने दफ्तर की कोई आधिकारिक फाइल उपलब्ध नहीं है। दूसरी ओर, जवाब में यह भी सामने आया कि इसके नूतनीकरण पर 10 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं। जरियाल ने सवाल उठाया कि जब रिकॉर्ड ही मौजूद नहीं है तो हर साल मरम्मत और खर्च की मंजूरी कैसे दी जाती है।
जानकारी के मुताबिक, बी/एफ विभाग का मुख्य कार्य अवैध कारखानों, झोपड़ियों, दुकानों, लॉजिंग और अन्य निर्माण पर कार्रवाई करना है। लेकिन विडंबना यह है कि यही विभाग खुद अवैध निर्माण में काम कर रहा है। विभाग के एक रिटायर्ड अभियंता ने यह भी खुलासा किया कि पहले इसका निर्माण एक ठेकेदार ने अपने खर्चे पर किया था, जबकि बाद में मरम्मत के लिए अन्य विभाग की निधि का इस्तेमाल किया गया।
यह पूरा मामला न सिर्फ मनपा की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अतिक्रमण पर कार्रवाई का दावा करने वाला विभाग ही खुद अतिक्रमण में लिप्त है।