मुंबई मिनी हिल स्टेशन (pic credit; social media)
Mumbai Mini Hill Station: घाटकोपर के पार्क साईट और वर्षानगर इलाकों में हर साल बारिश के मौसम में भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन सालों से यहां विकास की रफ्तार थमी हुई है। तकरीबन 30,000 झोपड़ियों वाला यह इलाका अब जर्जर हो चुका है।
पूर्व मंत्री प्रकाश मेहता का कहना है कि अगर इस क्षेत्र का विकास एमएमआईडीए और एसआरए के संयुक्त उपक्रम के तहत क्लस्टर डेवलपमेंट के रूप में किया जाए तो यह इलाका “मुंबई का मिनी हिल स्टेशन” बन सकता है।
यह पूरा क्षेत्र कलेक्टर की जमीन पर बसा है, जिसमें खंडोबा टेकड़ी, पार्क साईट, हनुमान नगर, राहुल नगर, राम नगर, रायगढ़, वर्षा नगर, आनंदगढ़ और सागर नगर जैसे इलाके शामिल हैं। लेकिन अब तक किसी भी विकासक ने यहां पर एसआरए प्रोजेक्ट को अंजाम तक नहीं पहुंचाया। आशापुरा, हीरानंदानी, ओमकार, गारोडिया, सत्रा जैसे डेवलपर्स ने कोशिश की, मगर स्थानीय विरोध और प्रशासनिक जटिलताओं के चलते कोई सफलता नहीं मिली।
पूर्व नगरसेवक तुकाराम पाटिल का कहना है कि “खंडोबा टेकड़ी से लेकर वर्षानगर श्मशान भूमि तक फैले इस इलाके में लगभग 30,000 झोपड़ियां हैं, जहां लाखों लोग गुजर-बसर कर रहे हैं। पिछले 15 सालों से कोई जनप्रतिनिधि इस मसले को सुलझा नहीं पाया। लोगों के घर टूट चुके हैं, कई परिवार किराए के मकानों में रह रहे हैं।
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2002 से अब तक कई प्रोजेक्ट अधूरे पड़े हैं। गारोडिया आभिनि डेवलपर ने सागर नगर में 1990 झोपड़ों को विकसित करने की योजना बनाई थी, लेकिन आज तक लोग एसआरए दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। 2011 में अमृत नगर में 3500 झोपड़ों को सत्रा प्रॉपर्टी के तहत नया घर देने का वादा किया गया, लेकिन सिर्फ 300 झोपड़ियां तोड़ने के बाद लोग ट्रांजिट कैंप में ही रह गए।
प्रकाश मेहता ने कहा, “यह इलाका कलेक्टर लैंड के अधीन है। यहां प्राइवेट एसआरए के बजाय क्लस्टर डेवलपमेंट ही स्थायी समाधान है। हमने 2007 में इसी मकसद से क्लस्टर प्लान लाया था।”
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर यह योजना लागू होती है तो न सिर्फ झोपड़पट्टी का चेहरा बदलेगा, बल्कि घाटकोपर का यह पहाड़ी इलाका सचमुच मुंबई का “हिल स्टेशन” बन सकता है। फिलहाल लोग सिर्फ एक उम्मीद पर टके हैं कि कोई आए, जो इस इलाके की किस्मत बदल दे।