एकनाथ शिंदे ने नेताओं को दिया आदेश (सौजन्यः सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति पर इस वक्त भाषाई विवाद का मुद्दा हावी है। पक्ष-विपक्ष जहां एक-दुरसे पर आरोप-प्रत्यारोप में उलझी हुई है वहीं कुछ चौकाने वाले भी घटनाऐ सामने आ रही है। जिससे राजनीति में आखिर चल क्या रहा है यह सोचने पर मजबूर कर दिया है।दरअसल उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने अपनी पार्टी के प्रवक्ताओं और नेताओं को मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे के खिलाफ न बोलने का आदेश दिया है।
हिंदी को अनिवार्य बनाने वाले सरकारी आदेश को रद्द करने के महागठबंधन सरकार के फैसले का जश्न मनाने के लिए उद्धव ठाकरे की शिवसेना और मनसे द्वारा शनिवार को वर्ली में एक विजय रैली आयोजित की गई।
इस सभा में राज ठाकरे की भूमिका न तो पार्टी की थी और न ही झंडे की। उन्होंने अपने भाषण में मराठी भाषा के मुद्दे को उठाते हुए शिंदे गुट की आलोचना नहीं की, जबकि उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में हिंदी और मराठी भाषा को छोड़ने के लिए शिंदे गुट की आलोचना की।
इसलिए राज ठाकरे की भूमिका को देखते हुए उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने नेताओं और प्रवक्ताओं को आदेश दिया है कि कोई भी उनकी आलोचना या उनके खिलाफ न बोले, ऐसा सूत्रों ने बताया।
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शिवसेना और मनसे के साथ ठाकरे के गठबंधन को लेकर जहां चर्चा चल रही है, वहीं मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने भी अपने पदाधिकारियों को आदेश दिया है कि वे शिवसेना के साथ गठबंधन के बारे में बात न करें। समझा जाता है कि उन्होंने पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि गठबंधन के बारे में कुछ भी कहने से पहले उनकी अनुमति लें। इसलिए कहा जा रहा है कि राज ठाकरे उद्धव ठाकरे के साथ गठबंधन को लेकर सतर्क रुख अपना रहे हैं।
हालांकि, राज ठाकरे और एकनाथ शिंदे के दो अलग-अलग आदेशों से ठाकरे के गठबंधन को लेकर बहस शुरू हो गई है। बता दें कि राज ठाकरे अब तक अपना स्पष्ट राजनितीक रुख रखने के है। राज ठाकरे समय पर क्या करेंगे किसके पाले में जाऐंगे यह सवाल सभी को सताऐ हुए है। अब देखना होगा की इन आदेशों के पिछे आखिर क्या बड़ा विचार छिपा हुआ है।