महाराष्ट्र सरकार पर संकट...लाडकी बहनें निगल गईं सारा फंड, अब बंद हो जाएंगी ये योजनाएं!
Mumbai News: महाराष्ट्र की महायुति सरकार के वरिष्ठ मंत्री और एनसीपी नेता छगन भुजबल ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की महत्वाकांक्षी माझी लाडकी बहिन योजना के कारण राज्य की अन्य सरकारी योजनाओं पर सीधा प्रभाव पड़ा है। यह पहली बार है जब महायुति सरकार के किसी मंत्री ने सार्वजनिक रूप से इस योजना के कारण वित्तीय संकट का जिक्र किया है। भुजबल ने बताया कि वर्तमान में राज्य के लगभग सभी विभाग धन के अभाव की स्थिति से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना पर भारी खर्च होने के कारण अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध नहीं हो पा रहा। लाडकी बहिन योजना पर करीब 40,000 से 45,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। जब इतनी बड़ी रकम एक ही योजना पर खर्च होगी, तो स्वाभाविक ही बाकी योजनाएं प्रभावित होंगी।
यह योजना पिछले वर्ष विधानसभा चुनावों से पहले शुरू की गई थी। इसके तहत योग्य महिलाओं को प्रतिमाह 1,500 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है। हालांकि, सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र में इस राशि को बढ़ाकर 2,100 रुपये प्रति माह करने का वादा किया था, लेकिन वित्तीय स्थिति कमजोर होने के कारण अब तक यह वादा पूरा नहीं हो पाया है।
वहीं, भुजबल ने अपने विभाग की लोकप्रिय ‘आनंदाचा शिधा’ योजना के भविष्य को लेकर भी चिंता व्यक्त की। यह योजना 2022 में दिवाली के समय शुरू की गई थी, जिसके तहत केसरिया राशन कार्डधारकों को केवल ₹100 में चार आवश्यक खाद्य वस्तुओं का पैकेट उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना पर हर साल लगभग 500 करोड़ का खर्च होता है और औसतन 1.6 करोड़ परिवार इससे लाभान्वित होते हैं। भुजबल ने कहा कि लाडकी बहिन योजना के भारी खर्च की वजह से इस बार ‘आनंदाचा शिधा’ योजना लागू करना मुश्किल लग रहा है।
उन्होंने यह भी बताया कि उनके विभाग की एक अन्य योजना ‘शिव भोजन थाली’ भी संकट में है। इस योजना के तहत दो लाख जरूरतमंदों को रोजाना 10 रुपये में भोजन दिया जाता है। इसके लिए सालाना 140 करोड़ रुपये की आवश्यकता होती है, लेकिन हमें केवल 70 करोड़ रुपये मिले हैं। ऐसे में आगे स्थिति में सुधार की उम्मीद कम है। शिव भोजन थाली में दो चपाती, एक सब्जी, एक दाल और एक कटोरी चावल दिया जाता है। शहरों में इसकी वास्तविक लागत 50 और ग्रामीण इलाकों में ₹35 आती है, जिसका अंतर राज्य सरकार सब्सिडी के तौर पर वहन करती है।
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राज्य के बजट आंकड़े भी भुजबल की चिंता की पुष्टि करते हैं। वित्त वर्ष 2025-26 के अनुसार, महाराष्ट्र का राजस्व घाटा 45,890.86 करोड़ तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष के अनुमानित घाटे 20,050.69 करोड़ से दोगुना है। वहीं, राजकोषीय घाटा 1,36,234.62 करोड़ तक जा पहुंचा है।