
Aditya Thackeray (सोर्सः सोशल मीडिया)
Aravalli Mining Issue: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता आदित्य ठाकरे ने उच्चतम न्यायालय द्वारा अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा को लेकर 20 नवंबर के अपने आदेश पर स्थगन लगाए जाने के फैसले का सोमवार को स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह राहत बहुत बड़ी है, लेकिन इसे स्थायी बनाया जाना चाहिए। आदित्य ठाकरे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि यह भी जरूरी है कि लोग अरावली पहाड़ियों के सुरक्षित होने को लेकर फैलाई जा रही गलत सूचना के झांसे में न आएं।
उन्होंने लिखा, “अरावली पर्वतमाला के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय का स्थगन आदेश एक बड़ी, लेकिन अस्थायी राहत है। इस पर स्थायी मुहर लगनी चाहिए।” उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को अपने 20 नवंबर के फैसले में दिए गए उन निर्देशों को स्थगित रखने का आदेश दिया, जिनमें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक समिति द्वारा सुझाई गई अरावली पहाड़ियों और पर्वतमाला की समान परिभाषा को स्वीकार किया गया था।
प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की अवकाशकालीन पीठ ने इस मुद्दे की व्यापक और समग्र समीक्षा के लिए क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल कर एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का प्रस्ताव भी रखा है। आदित्य ठाकरे ने कहा कि राजस्थान में हुए जनआंदोलनों के बिना यह परिणाम संभव नहीं होता, जिन्होंने यह दिखाया कि ग्रह की रक्षा सबसे महत्वपूर्ण है, न कि “ग्रह का शोषण करने की चाह रखने वालों के गंदे इरादे।”
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उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि हम अरावली पर्वतमाला सहित पूरे देश में प्रकृति को सबसे मजबूत सुरक्षा देने में सफल होंगे।” मंत्रालय की समिति ने पहले अनुशंसा की थी कि “अरावली पहाड़ी” की परिभाषा अरावली जिलों में स्थित ऐसी किसी भी भू-आकृति के रूप में की जाए, जिसकी ऊंचाई स्थानीय भू-स्तर से 100 मीटर या उससे अधिक हो, जबकि “अरावली पर्वतमाला” दो या अधिक ऐसी पहाड़ियों का समूह हो, जो एक-दूसरे से 500 मीटर के भीतर स्थित हों। पर्यावरण कार्यकर्ताओं, वैज्ञानिकों और विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि इस पुनर्परिभाषा से अरावली के नाजुक पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र के बड़े हिस्सों में खनन की अनुमति मिल सकती है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)






