
सुप्रीम कोर्ट (फोटो- सोशल मीडिया)
Aravalli Hills Definition Controversy Case:अरावली मामले में आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अरावली पहाड़ियों और पर्वत श्रृंखलाओं की परिभाषा में हुए बदलाव को लेकर उठे विवाद पर स्वतः संज्ञान लिया है। इस मामले में तीन न्यायाधीशों की पीठ, मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह अरावली पहाड़ियों और पर्वत श्रृंखलाओं की परिभाषा और इससे जुड़े अन्य मुद्दों पर सुनवाई करेगी।
20 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की खनन विनियमन समिति द्वारा सुझाई गई परिभाषा को स्वीकार किया था, जो अरावली क्षेत्र की पहचान और संरक्षण से संबंधित थी। इस परिभाषा को लेकर अब नए विवाद उठ रहे हैं, और सुप्रीम कोर्ट इसे लेकर अपना निर्णय सुनाएगा।
अरावली, दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है, जो करीब 700 किमी लंबी है। यह पर्वत श्रृंखला दिल्ली-एनसीआर को थार रेगिस्तान की धूल और मरुस्थलीकरण से बचाने के लिए एक प्राकृतिक ढाल का काम करती है। हाल ही में, सरकार द्वारा 100 मीटर ऊंचाई वाली नई परिभाषा पर विवाद उठने के बाद, अरावली को लेकर कई इलाकों में प्रदर्शन भी हुए। हालांकि, केंद्र सरकार का कहना है कि अरावली को किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है।
केंद्र सरकार ने भारतीय वानिकी शोध और शिक्षा संस्थान (ICFRE) को अरावली के अतिरिक्त क्षेत्रों की पहचान करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, अरावली में खनन को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाएगा। केंद्र का कहना है कि पुरानी खदानों को भी कोर्ट के आदेशों का पालन करना होगा। सरकार का मुख्य उद्देश्य अरावली में अनियमित खनन गतिविधियों को रोकना है, क्योंकि इस क्षेत्र का अस्तित्व मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
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विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस नियम के तहत अरावली का करीब 90% हिस्सा खतरे में पड़ सकता है। हालांकि, केंद्र सरकार ने नए खनन पट्टों पर रोक लगा दी है, लेकिन यह मामला अब देश की सर्वोच्च अदालत के पास है। सोमवार को होने वाली सुनवाई अरावली के अस्तित्व के लिए निर्णायक साबित हो सकती है। यह मामला पर्यावरणीय संरक्षण और देश के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, और सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई इस पर महत्वपूर्ण दिशा तय कर सकती है।






