मुंबई: महाराष्ट्र विधानमंडल का बजट सत्र काम के लिए कम और टीका-टिप्पणी के लिए ज़्यादा चर्चित हो रहा है। महापुरुषों के नाम पर लगातार राजनीति गरमाई हुई है। अब सुर्खियों में छाए हैं पार्षद अनिल परब। शिवसेना (उबाठा) के विधान पार्षद अनिल परब द्वारा खुद की तुलना मराठा राजा छत्रपति संभाजी महाराज से करने पर शुक्रवार को महाराष्ट्र विधान परिषद में सत्तारूढ़ महायुति विधायकों ने कड़ी आपत्ति जताई और उनसे माफी मांगने को कहा। सदन में हंगामे के बाद परिषद की कार्यवाही तीन बार स्थगित की गई।
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधान परिषद सदस्य प्रवीण दरेकर ने कहा कि परब ने बृहस्पतिवार को सदन में भाषण के दौरान खुद की तुलना छत्रपति संभाजी से की थी, जिसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। हंगामे के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्य विधान परिषद के सभापति के आसन के समीप आ गए।
महाराष्ट्र सरकार में बंदरगाह व मत्स्य पालन मंत्री नितेश राणे ने शिवसेना (उबाठा) नेता पर निशाना साधते हुए कहा कि एक क्लर्क की तुलना छत्रपति संभाजी से नहीं की जा सकती। जिसके बाद दोनों के बीच खासी नोकझोंक भी हुई। महायुति का यह आक्रामक रुख आरएसएस नेता भैयाजी जोशी की मराठी पर टिप्पणी को लेकर विपक्ष द्वारा सरकार को घेरने के एक दिन बाद आया है। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने कहा कि अगर परब की टिप्पणी से किसी को ठेस पहुंची है, तो वह शिवसेना (उबाठा) के नेता के तौर पर इस पर खेद व्यक्त करते हैं।
हालांकि विधान परिषद के सभापति राम शिंदे ने सत्ता पक्ष को बताया कि दानवे ने खेद व्यक्त किया है, लेकिन सत्ता पक्ष के सदस्यों ने इस पर कोई नरमी नहीं दिखाई। परब ने सफाई में कहा कि अगर सभापति को लगता है कि उनकी टिप्पणी से किसी को ठेस पहुंची है, तो उसे सदन की कार्यवाही से हटाया जा सकता है। शिवसेना (उबाठा) नेता ने कहा कि उन्होंने केवल यह टिप्पणी की थी कि जिस तरह छत्रपति संभाजी को धर्म परिवर्तन के लिए प्रताड़ित किया गया था, बिलकुल उसी तरह उन्हें भी पार्टी बदलने के लिए प्रताड़ित और मजबूर किया जा रहा है।
महाराष्ट्र की अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें…
परब ने कहा कि भाजपा के विधान परिषद सदस्य श्रीकांत भारतीय ने अपने कुत्ते का नाम ‘शंभू’ रखा है और उन्हें भी माफी मांगने के लिए कहा जाना चाहिए। अनिल परब ने कहा कि उनके पास भाजपा विधान पार्षद का इस कृत्य के लिए माफी मांगने का एक ट्वीट भी है। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल द्वारा हस्तक्षेप करने और मामले को शांत करने के लिए कहने के बाद ही मामला सुलझ पाया।