महाराष्ट्र विधान भवन (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा का हंगामेदार मानसून सत्र शुक्रवार को खत्म हो गया। 30 जून को यह सत्र शुरू हुआ था। महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने शुक्रवार को राज्य विधानसभा का सत्रावसान कर दिया, जिससे तीन सप्ताह तक चला मानसून सत्र समाप्त हो गया। इस सत्र के दौरान हिंदी भाषा विवाद और ‘महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक 2024’ सुर्खियों में रहा।
इस सत्र के दौरान वामपंथी उग्रवाद से निपटने और मादक पदार्थ तस्करों को मकोका के तहत लाने से संबंधित प्रमुख विधेयक पारित किए गए। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सत्रावसान आदेश विधानसभा में पढ़ा। राज्य विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 8 दिसंबर से नागपुर में शुरू होगा।
मानसून सत्र के दौरान शहरी नक्सलवाद पर लगाम कसने के लिए ‘महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक 2024’ विधानसभा के दोनों सदनों पास हो गया है। इसको लेकर विपक्ष ने कड़ा विरोध किया और सदन से वॉकआउट किया। बावजूद इसके यह बिल दोनों सदनों से पास हो गया।
मानसून सत्र के दौरान कई ऐसे मौके आए जब सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आए। सत्र के अंतिम दिनों में भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के विधायक जितेंद्र आव्हाड के बीच का विवाद सुर्खियों में रहा।
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दोनों विधायकों के समर्थकों के बीच विधान भवन में हाथापाई के घटना ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। इसके मामले में एफआईआर हुई और पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया। इस घटना को लेकर पडलकर और आव्हाड ने विधानसभा में खेद भी व्यक्त किया।
महाराष्ट्र में सरकार ने कक्षा 1 से 5 वीं तक हिंदी भाषा को अनिवार्य कर दिया था। हालांकि विपक्ष के विरोध के बाद सरकार ने अपना निर्णय वापस लिया। लेकिन मानसून सत्र के दौरान इस पर जमकर राजनीति हुई।
नागपुर में 8 दिसंबर में शुरू होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में राज्य में धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून लाया जाएगा। गृह राज्यमंत्री (ग्रामीण) पंकज भोयर ने विधान परिषद में बताया कि धर्मांतरण के खिलाफ कानून देश के अन्य 10 राज्यों के मुकाबले महाराष्ट्र में ज्यादा सख्त होगा। यह कदम राज्य में धर्मांतरण के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए उठाया जा रहा है। बता दें कि पिछले साल नागपुर में 16 दिसंबर से शीतकालीन सत्र का आगाज हुआ था।