उद्धव ठाकरे (सोर्स: सोशल मीडिया)
Uddhav Thackeray: शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि “हम किसी भी भाषा को थोपने की इजाज़त नहीं देंगे, यानी बिल्कुल नहीं।” हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि हम किसी भाषा के विरोधी हैं, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गलतफहमी न पालें। उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर त्रिभाषा नियम को लेकर चल रहे विवाद का जवाब दिया। महायुति ने आरोप लगाया था कि महा विकास अघाड़ी सरकार के दौरान उद्धव ठाकरे ने खुद त्रिभाषा नीति पर हस्ताक्षर किए थे।
इस पर सफाई देते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन ज़बरदस्ती स्वीकार्य नहीं है। आरोप हैं कि मैंने त्रिभाषा नीति के कागज़ पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन मैं आज मूल कागज़ लेकर आया हूं।
उद्धव ठाकरे ने बताया कि इस पर 27 जनवरी, 2022 की तारीख़ है। हमारी सरकार जून में गिर गई थी। इसलिए इस मुद्दे को मुझ पर थोपने की कोशिश बंद करें। इस बयान के बाद त्रिभाषा नीति को लेकर चल रही राजनीतिक बहस तेज़ होने की संभावना है।
महाराष्ट्र में बढ़ते मराठी भाषा विवाद के बीच उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार पर मुंबई का महत्व कम करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हम तोड़ने की भाषा का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, लेकिन मुंबई धीरे-धीरे अपना महत्व खो रही है। यहां के उद्योग-धंधों को गुजरात ले जाया जा रहा है। फिल्म उद्योग को भी यहां से हटाने की बात हो रही है।
उद्धव ठाकरे ने धमकी भरे लहजे में कहा कि मैं साफ कहता हूं कि अगर कोई मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की बात करेगा, तो हम उसके टुकड़े-टुकड़े कर देंगे।
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शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख ने मीडिया से बात करते हुए ने कहा कि मुंबई के महत्व को कम किया जा रहा है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। मुंबई देश की वित्तीय राजधानी रही है और ऐसा ही रहेगा। मुंबई का बढ़ता महत्व कई लोगों की आंखों में खटकता है।
महाराष्ट्र विधानभवन में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के विधायक जितेंद्र आव्हाड और भाजपा के विधायक गोपीचंद पडलकर के समर्थकों के बीच एक दिन पहले हुई हाथापाई को लेकर उद्धव ठाकरे ने कहा कि इस घटना के बाद देश में महाराष्ट्र की छवि धूमिल हुई है।
इस घटना की तुलना अन्य राज्यों की कानून-व्यवस्था से किए जाने के सवाल पर उद्धव ने कहा कि मैं ये नहीं कहूंगा कि इस तरह की झड़पें महाराष्ट्र में उप्र-बिहार की संस्कृति ला रही हैं। उन राज्यों में भी अच्छे लोग हैं। हमें कुछ बुरे तत्वों की वजह से पूरे राज्य की छवि खराब नहीं करनी चाहिए।